मंगलवार, दिसंबर 30, 2008

जावेद अख्तर की आवाज में कुछ अशार और एक नज्म !!!



अब इसी नज्म को खुद जावेद अख्तर की आवाज में सुनिये।


ये तसल्ली है कि हैं नाशाद सब,


4 टिप्‍पणियां:

  1. वाह, नीरज जी, वाह, सुबह सुबह उस दरवेश जावेद अख्तर के शब्द उसी की आवाज़ में सुना कर आप ने तो मेरे दिन को ही चार चांद लगा दिये --
    मैं अब जिस घर में रहता हूं
    बहुत ही खूबसूरत है
    मगर अकसर यह खामोश बैठा याद करता हूं
    वो कमरा बात करता था ...
    वाह भई वाह।
    नीरज जी, नये साल की बहुत बहुत मुबारकबाद।
    शुभकामनायें।

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  2. वाह वाह, क्या बात है, सुनवाने का शुक्रिया!

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  3. वाह बहुत खूब। दिल को खुश हो गया। क्या आप इस हमें भेज सकते हैं। जिससे हम जब चाहे तब सुन सके। विनती हैं। और नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं।

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  4. पढ़ने में अच्छा लगा। आज सुन नहीं पा रहा हूं, नेट की समस्या से। फिर कभी सुनूंगा जावेद अख्तर को।

    धन्यवाद।

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