पाकिस्तानी कव्वाली गायिकी में एक नाम अज़ीज मियाँ का भी आता है । अज़ीज मियाँ की कव्वालियाँ बहुत देर से सुनना शुरू किया लेकिन एक बार सुना तो बस डूबकर रह गये । जैसे उस्ताद नुसरत फ़तेह अली खान अपनी कव्वालियों में शास्त्रीय संगीत के उस्ताद के तौर पर जाने जाते हैं, अज़ीज मियाँ की आवाज में एक अजीब सी मस्ती और खाँटीपन है । अन्दाजे बयाँ की बात करें तो बस समझिये कि दिल निकाल के रख दिया है ।
लीजिये पेश-ए-खिदमत है अज़ीज मियाँ की आवाज में एक गजल (गजल थोडी लम्बी जरूर है लेकिन सुनने वालों के पैसे वसूल होने की गारंटी) । अगर ये पेशकश आपको पसन्द आयी तो आगे भी अज़ीज मियाँ की कव्वालियाँ सुनवायी जायेंगी :-)
फ़ुटकर शेर:
मजा बरसात का चाहो मेरी आंखो में आ बैठो ।
सुफ़ेदी है सियाही है शफ़क है अब्र-ए-बारम है ।
मजा बरसात का चाहो मेरी आंखो में आ बैठो ।
वो बरसों में कहीं बरसे ये बरसों से बरसती हैं ।
गजल:
उनकी आंखों से मस्ती बरसती रहे,
होश उडता रहे दौर चलता रहे ।
रक्से तौबा करे जामे बिल्लौर में,
रिंद पीते रहें शैख जलता रहे ।
वो उधर अपनी जुल्फ़ें संवारा करें,
और इधर दम हमारा निकलता रहे ।
तुम मेरे सामने आओ तो इस तरह,
तेरा पर्दा रहे मुझको दीदार हो ।
आप बन के चिलमन में बैठा करें
हुस्न छन छन के बाहर निकलता रहे ।
मयकदा तेरा साकी सलामत रहे,
आज तो जाम पर जाम चलता रहे ।
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bahut khub, aapka zauq aala hai,kalam
जवाब देंहटाएंumda hai, gayaki subhanallh.
kala kisi seema mein nahi bandhti,
kalakaro aur kala-nawazo ko salam.
m.h.
पैसा वसूल हो गया भाई ।
जवाब देंहटाएंक़व्वालियों के अपने ताज़े ताज़े ख़ज़ाने को बस हम अब खोलने ही वाले हैं ।
अज़ीज़ मियां के अगले नंबर का इंतज़ार है ।
अय हय हय
बहुत बढ़िया। ऐसी कोशिशें बेमिसाल हैं।
जवाब देंहटाएंbahut khoob .subhaan allah .
जवाब देंहटाएंveerubhai .