बुधवार, मई 12, 2010

आईये फ़िर कव्वालीमय हो जायें....!!!

बस, आंख बन्द करें और गुम हो जायें...


सखी बाली उमरिया थी मोरी,
मोरे चिश्ती बलम चोरी चोरी,
लूटी रे मोरे मन की नगरिया....