मंगलवार, दिसंबर 23, 2008

पुस्तकालय की महिमा: छुट्टी का जुगाड !!!

हमारे विश्वविद्यालय का फ़ाण्ड्रन पुस्तकालय अमेरिका के चुने हुये विशाल पुस्तकालयों में से एक है । अपने शोधकार्य के अलावा अन्य विषयों पर जानकारी लेने के लिये इंटरनेट की अपेक्षा कभी कभी पुस्तकालय में जाना बहुत सुखद होता है । भारत के पुरातन इतिहास (Ancient History of India) में मेरी विशेष रूचि है | इसके परिपेक्ष्य में पिछले कई वर्षों में Indo-Aryan Controversy पर काफ़ी कुछ पढा लेकिन नोट्स बनाकर लिखने का हमेशा आलस रहा ।

अभी कुछ दिन पहले पुस्तकालय में भारतीय इतिहास वाले सेक्शन में भटकते हुये एक पुस्तक पर नजर पडी । The Indo-Aryan Controversy: Evidence and inference in Indian History | सबसे पहले प्रकाशक पर नजर डाली, "Routledge, Taylor & Francis Group" | हम्म, प्रकाशक तो बढिया है सोचकर शेल्फ़ से उठा ली । मेरे मित्र अंकुर वर्मा ने लगभग आठ साल पहले सलाह दी थी कि किसी भी पुस्तक के प्रस्तावना अथवा Preface से मजमून के बारे में अच्छी जानकारी मिलती है और Preface कोशिश करके एक बार में पूरा पढना चाहिये । तुरन्त उनकी सलाह पर अमल किया और ये पढने को मिला ।
(चित्र को क्लिक करके पढने में आसानी होगी )
(चित्र को क्लिक करके पढने में आसानी होगी )

Preface पढते ही दिल बाग बाग हो गया और लगा कि चलो कोई राईट/लेफ़्ट विंग प्रोपागेंडा तो नहीं है । ठोस इतिहास की बात हो रही है । अब इसके बाद आगे पन्ने पलटे तो पता चला कि इस पुस्तक में माइकेल विट्जल, बी. बी. लाल, सत्य स्वरूप मिश्रा, सुभाष काक, श्रीकांत तलगेरी, माधव देशपांडे, कोइनार्ड एस्ट जैसे दिग्गजों के लेख हैं । तुरन्त इस पुस्तक को उठाया गया और निश्चित किया कि क्रिसमस की छुट्टियों में इसे दबाकर पढेंगे और यदि संभव हुआ तो कुछ नोट्स भी तैयार किये जायेंगे ।

हिन्दी ब्लागजगत में भी निश्चित ही बहुत से लोगों के इस Indo-Aryan Controversy के बारे में कुछ विचार होंगे । मसलन क्या आर्य (Race) और द्रविण भिन्न हैं? सिन्धु घाटी सभ्यता में रहने वाले कौन थे ? वैदिक सभ्यता और सिन्धु घाटी सभ्यता का आपस में क्या सम्बन्ध है ? क्या ये दोनों एक ही हैं ? इत्यादि इत्यादि ।

देर किस बात की है, लिख भेजिये इस विषय पर अपनी राय ।


P.S.: मैक्स मूलर और मैकाले को गरियाने/जुतियाने में अपना समय व्यर्थ न करें , :-)

3 टिप्‍पणियां:

  1. बड़ा मुश्किल प्रश्न पूछा है भाई ......वैसे भी हमारे नम के पीछे आर्य लगा हुआ है .छुट्टी मनाते है फ़िर देखते है

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  2. आर्यों के उद्भव और उनके भारत में होने को ले कर बहुत प्रकार से बहुत पढ़ा है। और वह सब रोचक लगा है।
    मेरा तो सोचना है कि योरोप से सुदूर पूर्व तक हमारे ही भाई बन्द हैं!

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  3. मेरा भी यही मत है की आर्य भारतीय मूल वश के हैं -
    जिनकी शाखाएं दूर सुदूर यूरोप तक पाईं जातीं थीं रशिया में भी यही थे कोकेशियास पहाडों का आर्य मूल स्थान हमें सिखलाया गया था --
    ( in our History lessons in school & college )
    आपकी पुस्तक ने क्या निषकर्ष निकला है?
    please बताये तरुण भाई
    और ह्यूस्टन आने के न्योते के लिए भी आभार !
    वहाँ मेरे कई मित्र रहते हैं -
    -कई बार आई हूँ -
    अब के आई तब अवश्य मिलेंगें
    स्नेह -
    - लावण्या

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