मंगलवार, जनवरी 10, 2012

समय बहुत बलवान !!!

हम बदलते हैं, तो समाज बदलता है। बहुत सी बाते जो आज समाज में मान्य नहीं है समय के साथ स्वीकार्य हो जायेगीं। और बहुत सी बातें जो भले ही दूसरों को दुख देती हों, उन्हें हम आज डंके की चोट पर सिर्फ़ इसलिए कह पाते हैं क्योंकि वो क्षम्य हैं, स्वीकार्य हैं।
समय आज ही बडी तेजी से नहीं बदल रहा है बल्कि हमेशा से ऐसा ही रहा है। सोचना आपको है कि आपको इस बदलाव को किस रूप में स्वीकार करना है। बदलाव केवल अच्छे ही नहीं होगें और न ही आप केवल उन बदलावों को चुन सकते हैं जो आपको पसन्द हों। समय के बदलाव एक पैकेज्ड डील की तरह होते हैं और उन्हे उसी रूप में स्वीकार करना चाहिये।

अब नीचे दिये गये चित्रों पर गौर कीजिये। ये सभी विज्ञापन एक समय में अमेरिका के महत्वपूर्ण अखबारों और पत्रिकाओं में प्रकाशित हुये थे। क्या आज किसी समाचार पत्र/पत्रिका में हम ऐसे विज्ञापनों की कल्पना भी कर सकते है? समय कितनी रहस्य भरी चाल चलता है। हम सब रूमानियत में उन अच्छे पुराने दिनों की कल्पना जरूर कर लें लेकिन हमें नहीं भूलना चाहिये कि अतीत के पर्दे में हमेशा ही सब कुछ सुखद नहीं होता। कभी कभी बदलाव की बयार ताजी हवा का झोंका भी हो सकती है जिसकी हमारे वर्जनाओं में पीढियों से दबे समाज में घोर आवश्यकता है।

आभार,
नीरज रोहिल्ला