मंगलवार, मार्च 27, 2007

लो आज हमने छोड दिया रिश्ता-ए-उम्मीद !

लो आज हमने छोड दिया रिश्ता-ए-उम्मीद,
लो अब कभी गिला न करेंगे किसी से हम ।

हम थे जिनके सहारे वो हुये न हमारे,
डूबी जब दिल की नय्या सामने थे किनारे ।

जला दो जला दो जला दो ये बल्ला, मेरे सामने से हटा दो ये बल्ला,
तुम्हारा है तुम ही संभालो ये बल्ला ।

आज मैने भी भारत की शर्मनाक हार के बाद क्रिकेट में उम्मीद से रिश्ता तोड लिया ।

चर्चा/परिचर्चा के बीच थका हुआ क्रिकेट दुहाई दे रहा है कि मुझे खेल ही रहने दो किसी धर्म का नाम मत दो वरना मैं तुम्हे उसी तरह निराश करूँगा जैसे धर्म और मजहब इंसान को निराश करते हैं ।

बस आज और कुछ कहने का मन नहीं है । बस सब लोग संयम से काम लें और कोई किसी का घर न फ़ूँके, बाब वूल्मर की हत्या हो ही चुकी है अब कोई और निर्दोष इस खेल की बलि न चढ जाये ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. मैं सहमत हूँ आपसे नीरज भाई!! आपका दर्द समझ सकता हूँ.

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  2. ऐतना सेंटियाऒ नहीं भाई!

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  3. yeah ....can understand ur emotions.......but honi ko kaun tal sakta hain........is mushkil ki ghadi main sabko himmat se kaaam lena hoga......here in India too a man died of heart attack after INdia's plight!!!and above all is baar toh pepsi cola ki bhi lagane wali hai without there any hand in this disaster....just becoz there were r cricketers in commercials

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