रविवार, अप्रैल 20, 2008

अब्दुल रहीम फ़रीदी कव्वाल की पेशकश !!!

आज यू-ट्यूब पर कव्वालियाँ सुनते सुनते अचानक अब्दुल रहीम फ़रीदी कव्वाल को सुनने को मौका मिला । इससे पहले कभी इनको सुना नही था लेकिन एक बार सुना तो दिन भर सुनता रहा । अब तो ऐसा जादू तारी हो गया है कि बिना आपको सुनवाये मन नहीं मानेगा ।

तो सुनिये, ख्वाजा की जोगनिया मैं बन जाऊँगी ...

बस एक ही टीस है कि ऐसे बेमिसाल कलाकार आज के बाजार की माँग के आगे कैसे चलेंगे । क्या आपको भी यही टीस उठती है कभी कभी ?

भाग एक:

इसी कव्वाली का दूसरा भाग:







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5 टिप्‍पणियां:

  1. इस बेहतरीन कव्वाली को सुनवाने के लिये धन्यवाद!

    इस बात की टीस तो उठती हे कि बाजार के प्रभाव में ऐसे कलाकार गुमनाम ही रह जाते है।

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  2. भाई आपने बहुत अच्छा किया,बहुत बहुत शुक्रिया

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  3. कहाँ कहाँ से खोज कर नायाब चीजें लाते हो-वाह!! इसी लिये तो रोज भटकते यहाँ चले आते हैं. :)

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  4. ऐन मौके पर कम्प्यूटर का स्पीकर काम नहीं कर रहा। खैर हमने पोस्ट पढ़ी। सुनेंगे कभी बाद में।

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  5. हां, सुन पाया, और अच्छा लगा।

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