इस पहली पोडकास्ट में उनकी चार कव्वालियों के कुछ अंश प्रस्तुत हैं ।
१) न तो कारवाँ की तलाश है, न हम सफ़र की तलाश है ("बरसात की एक रात", संगीत निर्देशक: "रोशन")
२) ये इश्क इश्क है ("बरसात की एक रात", संगीत निर्देशक: "रोशन")
३) वाकिफ़ हूँ खूब इश्क के तर्जे बयाँ से मैं ("बहू बेगम", संगीत निर्देशक: "रोशन")
४) ऐसे में तुझको ढूँढ के लाऊँ कहाँ से मैं ("बहू बेगम", संगीत निर्देशक: "रोशन")
इन कव्वालियों के अंशो को मिलाकर मैने लगभग १२:३० मिनट का एक पोड्कास्ट तैयार किया है । तो नीचे दिये "प्ले" बटन पर चटका लगाकर इन चार कव्वालियों का आनन्द लीजिये ।
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दूसरी पोडकास्ट भी "रोशन" साहब के नाम पर है, इसमें आप सुनेंगे ।
१) चाँदी का बदन सोने की नजर ("ताज महल", संगीत निर्देशक: "रोशन")
२) जी चाहता है चूम लूँ अपनी नजर को मैं ("बरसात की एक रात", संगीत निर्देशक: "रोशन")
३) निगाहे नाज के मारों को हाल क्या होगा ("बरसात की एक रात", संगीत निर्देशक: "रोशन")
नीचे दिये "प्ले" बटन पर चटका लगाकर इन तीन कव्वालियों का आनन्द लीजिये ।
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तीसरी पोडकास्ट में आप सुनेंगे:
१) चेहरा छुपा लिया है किसी ने हिजाब में ("निकाह", संगीत निर्देशक: "रवि")
२) निगाहें मिलाने को जी चाहता है ("दिल ही तो है", संगीत निर्देशक: "रोशन")
३) पल दो पल का साथ हमारा पल दो पल के याराने हैं ("द बर्निंग ट्रेन", संगीत निर्देशक: "राहुल देव बर्मन")
4) अल्लाह ये अदा कैसी है इन हसीनों में ("मेरे हमदम मेरे दोस्त", संगीत निर्देशक: "लक्ष्मीकांत प्यारेलाल")
नीचे दिये "प्ले" बटन पर चटका लगाकर इन कव्वालियों का आनन्द लीजिये ।
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और अंत में आपके लिये पेश हैं कव्वाल "इस्माईल आजाद" की दो प्रसिद्ध कव्वालियाँ:
१) हमें तो लूट लिया मिल के हुस्न वालों नें
२) झूम बराबर झूम शराबी, झूम बराबर झूम ।
नीचे दिये "प्ले" बटन पर चटका लगाकर इन कव्वालियों का आनन्द लीजिये ।
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हिन्दी फ़िल्म संगीत की कुछ अन्य प्रसिद्ध कव्वालियाँ इस प्रकार हैं ।
१) तेरी महफ़िल में किस्मत आजमा कर हम भी देखेंगे ("मुगले आजम", संगीत निर्देशक: "नौशाद", गायक :"लता मंगेशकर, शमशाद बेगम")
२) ये माना मेरी जाँ मोहब्बत सजा है मजा इसमें इतना मगर किसलिये है ("हँसते जख्म", संगीत निर्देशक: "मदन मोहन")
३) हाल क्या है दिलों का न पूछो सनम ("अनोखी अदा", संगीत निर्देशक: "नौशाद")
४) आज क्यों हमसे पर्दा है ("साधना", संगीत निर्देशक : "नारायण दत्ता")
५) यारी है ईमान मेरा यार मेरी जिन्दगी ("जंजीर", संगीत निर्देशक : "कल्यानजी आनन्दजी")
६) मेरी तस्वीर लेकर क्या करोगे तुम ("काला समुन्दर, संगीत निर्देशक : "नारायण दत्ता")
७) है अगर दुश्मन दुश्मन जमाना गम नहीं ("हम किसी से कम नहीं", संगीत निर्देशक : "राहुल देव बर्मन")
८) परदा है परदा ("अमर अकबर एंथनी", संगीत निर्देशक : "लक्ष्मीकांत प्यारेलाल")
९) परदे में बैठा है कोई परदा करके ("दादा", संगीत निर्देशक : "ऊषा खन्ना")
१०)उनसे नजरे मिली और हिजाब आ गया ("गजल", संगीत निर्देशक : "मदन मोहन")
११) जाते जाते एक नजर भर देख लो, देख लो ("कव्वाली की रात", संगीत निर्देशक : "इकबाल कुरैशी")
फ़िलहाल बस इतने ही गीत याद आ रहे हैं । अगर आपकी भी कोई पसंदीदा कव्वाली है तो आप अपनी टिप्पणी के माध्यम से बता सकते हैं ।
वाह! आप तो एक के बाद एक खजाने खोलते चले जा रहे हैं! यह तो बार-बार विजिट करने वाली पोस्ट बन गयी है.
जवाब देंहटाएंनीरज अच्छी मेहनत की है ।
जवाब देंहटाएंमज़ा आया सुनकर । फिल्मी क़व्वालियों की ज़बर्दस्त महफिल सजाई है ।
शायद कव्वाली के शौकीन जानते हों संगीतकार सी रामचंद्र ने धनंजय फिल्म
में एक कव्वाली गाई थी । जबर्दसत कव्वाली है ये--हम वफादार नहीं तू भी तो
दिलदार नहीं । इसके अलावा कुछ और कम चर्चित कव्वालियां हैं
जिनकी चर्चा बाद में की जाएगी ।
श्रृंखला जारी रखो ।
हम जुगलबंदी सजा रहे हैं
आपने तो बिल्कुल भूल सी गयी कव्वालियों की याद दिला दी । आज कल ना तो ऐसी कव्वालियाँ बनती है और ना ही ये पुरानी कव्वालियाँ सुनाई देती है।
जवाब देंहटाएंआपकी मेहनत काबिले तारीफ है।
आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।
बढ़िया रहा आपका ये प्रयास ! मुझे तो एक गैर फिल्मी कव्वाली याद आ रही है जिसे मैंने तब live सुना था जब कक्षा ८ में था। गायक थे असलम शाबरी और बोल थे
जवाब देंहटाएंतू किसी और की जागीर है ओ जाने ग़ज़ल ...
लोग तूफान मचा देंगे मेरे साथ ना चल!
और मन झूम उठा था. तब दशहरा में पटना में अक्सर ऍसे कार्यक्रम हुआ करते थै।