रविवार, अगस्त 05, 2007

यौन शिक्षा: दो टूक बातें !!!

डिस्क्लेमर: इस लेख में मैने जरा भी Politically Correct रहने का प्रयास नहीं किया है । अगर आपको मेरी भाषा से आपत्ति हो तो क्षमाप्रार्थी हूँ ।

शास्त्रीजी ने अपने पिछले दो लेखों में अमेरिका में दी जा रही यौन शिक्षा का उदाहरण देकर विचार व्यक्त किया था कि जब यौन शिक्षा से अमेरिका की समस्यायें हल नहीं हुयी तो भारत की कैसे होंगी । मैं शास्त्रीजी के आँकडों से सहमत हूँ लेकिन उनके निष्कर्षों से पूरी तरह असहमत । भारत में यौन अपराधों का एक बडा हिस्सा कभी आँकडों में आता ही नहीं है, फ़िर आप दोनो आँकडों की तुलना कैसे कर सकते हैं ?

अमेरिका में यौन शिक्षा के बावजूद यौन अपराधों के बढने के कई अलग कारण हो सकते हैं, उसके आधार पर यौन शिक्षा को ही गलत ठहराना हास्यास्पद है । और भी बहुत लोगों के मुँह से इस प्रकार के वाक्य सुने हैं कि हमारे विद्यार्थियों को "भोग नहीं योग की शिक्षा की आवश्यकता है" । इस प्रकार के तर्क देने वालों को सबसे पहले यौन शिक्षा देनी चाहिये जिससे कि वो समझ सकें कि असल में यौन शिक्षा भोग की शिक्षा नहीं है ।

आज के वातावरण में भारत में यौन शिक्षा की आवश्यकता बहुत अधिक है । उन्मुक्त जी ने अपने चिट्ठे पर यौन शिक्षा के बारे में बहुत उपयोगी दो लेख लिखे हैं । मैं एक बार फ़िर से उन लिखों की कडी यहाँ दे रहा हूँ जिससे कि लोग फ़िर से उन्हे पढ सकें ।

पहला लेख
दूसरा लेख

हम अपने आप मान लेते हैं कि बडे होते युवा अपने आप यौन शिक्षा किसी न किसी माध्यम से प्राप्त कर लेते हैं । "फ़िर हमें भी तो किसी ने नहीं पढाया था..." जैसे तर्क देकर आप क्षणभर के लिये तो खुश हो सकते हैं लेकिन इससे समस्या का हल नहीं निकलता । यहाँ चिट्ठाकारों में से कितने ऐसे हैं जिन्हे किसी ने यौन शिक्षा दी थी या स्वयं जिन्होने अपने बच्चों के साथ इस विषय पर बात की है ? बडे होते युवा रंगीन पन्नों की किताबों से उल्टा सीधा ज्ञान प्राप्त करते हैं और उन्ही प्रकार की किताबों के "कासे कहूँ" जैसे पन्ने पढकर अपनी समस्याओं/सवालों के जवाब तलाश करते हैं । "हस्तमैथुन" जैसे विषय पर ही युवाओं को अधकचरी जानकारी उपलब्ध होती है और इस प्रकार की अधूरी जानकारी के कारण बहुत से युवा अपराधग्रस्त/Confused रहते हैं |

यौन शिक्षा के साथ सबसे बडी समस्या है कि लोग इसका अर्थ बडा ही सीमित समझते हैं । भारत और भारतवासियों के साथ सबसे बडी समस्या ये है कि हम आधी समस्याओं को नकार कर उनसे पीछा छुडाने की बात करते हैं । मुझे याद नहीं कि चिट्ठाकार कौन थे लेकिन उन्होने अपने चिट्ठे पर लिखा था कि इन्दौर भी अब एक बडा नगर बन गया है जहाँ अब विद्यार्थी M.M.S. क्लिप बनाने लगे हैं । सिर्फ़ इन्दौर ही क्या बहुत से छोटे बडे नगरों में M.M.S. स्कैण्डल्स की बाढ आयी हुयी है और इंटरनेट पर ये सुलभता से उपलब्ध हैं । जिन किसी को भी मेरी बात पर भरोसा न हो वो मुझसे व्यक्तिगत संपर्क करें और मैं उन्हे वेबसाईटों के पते देने तक को तैयार हूँ । ऐसे मामले बहुत हद तक स्वयं दूर हो जायेंगे जब लडके और लडकियों दोनो को यौन सम्बन्धों के बारे में जागरूक बनाया जा सकेगा ।

दूसरा हमारा सामाजिक ढाँचा ऐसा है कि इसमें हर कदम पर सेक्स/व्यक्तिगत संबन्धों के बारे में दोहराभास है । उदाहरण के तौर पर बहुत से युवा लडके किसी लडकी से प्रेम सम्बन्ध या फ़िर केवल प्रेमालाप करने के लिये सम्बन्ध स्थापित करना चाहता है परन्तु उसके परिवार की कोई युवती ऐसा करे तो उसकी खैर नहीं । पडौस की किसी लडकी का किसी लडके के साथ चक्कर चल रहा हो तो ये मजा लेकर बात करने वाली बात है और हमारे खानदान में तो ऐसा हो ही नहीं सकता । कितने ऐसे So called पढे लिखे युवा हैं जो स्वीकार कर सकते हैं कि उनकी स्वयं की बहन का कोई प्रेमी हो सकता है ? कितने ऐसे हैं जो ये जानने के बाद दोस्तों के साथ उस लडके को पीटने नहीं चले जायेंगे ? इस प्रकार के सामाजिक ढाँचे के कारण बहुत से यौन अपराध घटित होते हैं । आधे मामलों में लडकी चाहकर शारीरिक सम्बन्धों के बारे में अपने प्रेमी को स्पष्ट जबाव नही दे पाती है क्योंकि उसके मन में भी कहीं अपराधबोध और आवाज उठाने पर स्वयं की बदनामी होने का डर होता है ।

मेरा घर मथुरा जैसे एक छोटे नगर में है और मेरा वहाँ साल/दो साल में महीने भर के लिये जाना होता है लेकिन मेरे उम्र के पडौस में रहने वाले लोग बडे प्रेम से अपने प्रेमालापों के किस्से सुनाते हैं, उनकी कौन सी लडकी कितने महीने के लिये उनकी प्रेमिका बनी । मैं ये भी जाँच चुका हूँ कि उनकी बाते कोरी गप्प नहीं है । अब प्रश्न उठता है कि क्या यौन शिक्षा इन समस्याओं को हल कर सकती है ?

यौन शिक्षा का अर्थ केवल सेक्स की शिक्षा देना ही नहीं है बल्कि ये भी है:

१) किसी जानकार अथवा अनजान व्यक्ति का किसी भी बहाने से उनके शरीर का अवांछनीय स्पर्श उनके विरूद्ध एक अपराध है ।
२) प्रेम सम्बन्ध होने के बावजूद भी किसी भी अवांछनीय कृत्य का विरोध करना आपका अधिकार है ।
३) किसी भी समय अपने आस पास के वातावरण में सजग रहकर आप स्वयं आधे यौन अपराधों को कम कर सकते हैं, लेकिन इसके लिये जागरूकता की आवश्यकता है ।

साभार,

8 टिप्‍पणियां:

  1. जो आपने लिखा वो मैं अपने आस पास देखता हूं. पता नही क्यों लोग प्रेम संबंधों को स्वीकार नही कर पाते हैं. और उसके विरुद्ध हो जाते हैं. और जैसा कि आपने लिखा कि पडो़सी के लड़के लड़कियों के प्रेम संबंधों को चट्खारे लेकर बताया जाता है वही अगर मामला अपने घर का हो तो पारा ७वें आसमान पर होता है.
    मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूं.

    भाइयों के द्वारा बहनो के प्रेमियों को मारने की घटना मैं देख चुका हूं.

    एक मजेदार फ़ंडा:- लड़्की पटानी हो तो सबसे पहले उसके भाई को पटाओ. अगर भाई न हो तो उसके पिता को पटाओ. कम्प्लीटली सेफ़ फ़ार्मूला

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  2. बेनामी6:45 am

    अंतर्ध्वनि me aapki bat se sahmt hu. krpya aap lage raho apne kary me kyokiease smaj kantko logo ye sachae ka samana karna ek kadawa guta jahar pine ke sman hai.

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  3. कोई क्षमापार्थी टाईप शब्द तो दिखा नहीं, फिर काहे बात की क्षमा मांग रहे थे. सभी तो जरुरी बात की हैं. बिल्कुल सही.

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  4. मैंने शास्त्री जी की चिट्ठी पर यह टिप्पणी की थी किसी कारण प्रकाशित नहीं हो पायी है। मैं आपकी अनुमति से यहां देना चाहूंगा। यह शास्त्री जी की चिट्टी के परिपेक्ष में पढ़ी जाय।
    "शास्त्री जी आप गलत नहीं कहते पर फिर भी मैं कहना चाहूंगा कि सांख्यिकी का पहला सिद्धान्त है There are lies, damned lies and statistics. इसका कारण
    है।
    आप सांख्यिकी को जिस तरह से चाहें चाहे प्रयोग कर सकते हैं और वह विश्वसनीय लगता है। सांख्यिकी का प्रयोग सही है या गलत - केवल विशेषज्ञ ही बता सकते हैं। मान लीजिये मैं कहूं कि 'क' टूथपेस्ट अच्छा है क्योंकि इससे मंजन करने वालों में ९०% लोगों के दांत अच्छे रहते हैं। इसका यह अर्थ नहीं कि यह अच्छा टूथपेस्ट है क्योंकि हो सकता है इससे न मंजन करने वालों में से ९५% के दांत अच्छे रहते हों। यदि ऐसा है तो यह खराब टूथपेस्ट हो जायगा।
    सोचिये यदि पाश्चात्य देशों में यौन शिक्षा न हुई होती तो क्या हाल होता। यदि तब हाल अच्छे होते तब ही आपकी बात ठीक लगती है अन्यथा नहीं।
    अपने देश में जिस तरह के टीवी प्रोग्राम आते हैं जिस तरह की खबरे आती हैं, जिस तरह अंतरजाल पर सब उपलब्ध है - उसे देख कर तो मुझे लगता है कि यौन शिक्षा होनी चाहिये।
    इस बारे में मैंने अपने तथा अपने परिवार के व्यक्तिगत अनुभव भी
    href="http://unmukt-hindi.blogspot.com/2007/06/everything-you-always-wanted-to-know.html"> यहां
    और यहां लिखे हैं। मैं चाहूंगा इनको भी आप देखें फिर राय कायम करें।
    ऐसे यौन शिक्षा पर व्यापक बहस जरूरी है।"

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  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  6. बेनामी2:35 pm

    जनाब सेक्स के बारे आपके विचार कबीलेगौर हैं , हमारे समाज मे आज भी कई तरह की भ्रांतीया हैं , स्कूलों मे सेक्स शिक्षा का विवाद इतना गहरा गया हैं की राजनेता और आम जनता यहाँ तक की अदालत भी इसे चलने नही दे रही एस
    और मे आपके विचार सेख लेने वाले है

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  7. ignorance is bliss for soem other dimension of life but not for Sex. Also, acknowledgement is first step towards resolution...so thanks for talkign about this subject (and to others) becasue you can start the shift from your own family /friends side.

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  8. lekhak ke vaktavay se sahmat hoon .yaun -shikshaa yaun aasanon kaa chithhthhaa nahi hai .hyumain enaatomee ki jaankaari bhi hai ,shaaririk shikhsaa bhi hai ,vikaas ke bahu vidh saupaanon se sambandhi .
    veerubhai .

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