Ab_Aksar_Chup_Chup... |
इसी के साथ अपनी जल्दी ही आने वाली कुछ पोस्टों (इसकी हिन्दी कौन सुझायेगा :-) ) की जानकारी,
१) सरदार अली जाफ़री के टी. वी. धारावाहिक कहकंशा के संगीत पक्ष पर कुछ जानकारी और कुछ अच्छी गजलें/नज्में
२) सूफ़ी कव्वाली के बारे में कुछ रोचक जानकारियाँ ।
अब चलते चलते, साहिरजी की एक और गजल सुनवाये बिना मन नहीं मानेगा । ये गजल है:
"किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फ़िर भी" । इस गजल के एक अशार को इयत्ता जी ने अपने चिट्ठे पर लिखा था, पेश-ए-खिदमत है जगजीत सिंह की आवाज में ये गजल...
Kisii_Kaa_Yun_To_H... |
अपनी टिप्पणियों के माध्यम से अपनी राय जरूर बताते रहें ।
वाह, नीरज. बहुत बेहतरीन पेशकश. दोनो ही पसंद आये.
जवाब देंहटाएंचलो, यूनुस की टक्कर का ब्लॉग तो आया. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन मज़ा आ गया । हमने अपने ब्लॉग पर साहिर पर खूब सारा लिखा है उनकी आवाज़ में दो तीन नज्में भी डाली हैं । कभी फुरसत पाकर देखें ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया नीरज भाई
जवाब देंहटाएंसुबह सुबह बहुत ही सुन्दर गज़लें सुनवाई आपने। आने वाली पोस्टों (पोस्टों को लेख, या प्रविष्टियाँ कहा जा सकता है?) का बेसब्री से इंतजार है।
साथ साथ में इन गज़लों के बोल (Lyric) भी लिख दिये जाते तो मजा दुगुना हो जाता।
जवाब देंहटाएंपहली ग़ज़ल ज्यादा पसंद आई। सुनाने का शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंकहकशां वास्तव में एक संग्रह करने योग्य एलबम है । उसी एलबम से ली हुई मज़ाज की नज़्म .. ऍ गमें दिल क्या करूँ मेरी बेहद प्रिय है और उसके बारे में यहाँ विस्तार से लिखा था।
http://ek-shaam-mere-naam.blogspot.com/2006/12/blog-post_06.html
http://ek-shaam-mere-naam.blogspot.com/2006/12/blog-post_09.html