बुधवार, अप्रैल 01, 2009

मेरी दांयी टांग के नाम एक चिट्ठी:

पहले सोचा कि तुमसे (दांयी टांग) अकेले में बात की जाये, लेकिन कल के तुम्हारे व्यवहार ने जो दिल तोडा है उसके बाद मौखिक संवाद की जगह लिखित में आन द रेकार्ड तुम्हे चिट्ठी लिख रहा हूँ।  पहले कुछ बातें याद दिलाता हूँ,

१) याद है ह्यूस्टन मैराथन? हमने फ़ैसला किया था कि इसे ३:३० में खत्म करेंगे।  दौड से पहले अपना पेट काटकर तुम्हारी मालिश भी करवायी थी।  तुम्हारे लिये अच्छे से अच्छे जूते खरीदे, उनमें स्पेशन इन-सोल भी लगवाये कि तुम्हे कोई तकलीफ़ न हो।  नतीजा क्या निकला? २२वें मील तक तुमने खूब साथ निभाया, उसके बाद जब केवल ४.२ मील बाकी थे, तुमने ऐसे नजरें फ़ेर लीं जैसे जानते भी नहीं।  भला हो बांयी टांग का जिसने तुम्हारा बोझ भी अपने ऊपर लिया और जो जिम्मेदारी तुम्हे और उसे ५०-५० बांटनी थी, ६५-३५ बांटकर मैराथन पूरी करनी पडी।

ठीक है, हमने तुम्हारी बात मानी की ये पहला मैराथन था और तुम स्ट्रैस नहीं झेल पायी। उसके बाद हमने कागज पर कैलकुलेशन की थी कि अगली मैराथन में बोस्टन के लिये क्वालीफ़ाई करना है। याद है? तुमने कहा था कि एक मौका और दे दो, इस बार मायूस नहीं करोगी।  बोस्टन कोई मजाक नहीं है, हम सब इसके लिये मेहनत कर रहे हैं। इसके लिये एक साल में ३:३८ से ३:१० पर जाना होगा। मतलब कि पूरे २८ मिनट का इम्प्रूवमेंट।

२) याद है Run Wild Half Marathon? वो तो केवल १३.१ मील की थी।  इतना तो तुम्हे भी पता है कि इस दूरी में तुम्हे कोई तकलीफ़ नहीं होनी चाहिये।  लेकिन फ़िर १० वें मील के आस पास तुम्हारे नाटक शुरू हो गये थे।  वो तो भला हो कि जैसे तैसे तुम्हें घसीटकर १:३४:४१ में रेस पूरी हुयी थी। वरना तुम्हारी सुनते तो मिल लिया था फ़र्स्ट प्राईज।

३) इसके बाद Bayou City Classic 10K, ये तो केवल १० किमी की दौड थी।  हमने तय किया था कि इसे ४२ मिनट में पूरा करेंगे। तुमने भी काफ़ी साथ दिया लेकिन आखिरी आधे मील में जब मैने तुमसे पूछा कि थोडा तेज दौडें तो बांयी टांग तैयार थी और तुमने धोका दे दिया। सोचो अगर तुम साथ देती तो ४१:०८ की जगह ४१ मिनट में दौड पूरी हो सकती थी।

४) बोस्टन की तैयारी के लिये हम सब राजी हुये थे कि टैक वर्क बहुत जरूरी है। पहले ३ वर्क आऊट में तो तुम भी कितनी खुश थी।  लेकिन कल क्या हुया? इतनी सुन्दर कन्या आकर बोलती है कि पिछले हफ़्ते मैने तुम्हे दौडते देखा था, हम दोनो लगभग एक ही रफ़्तार पे दौडते हैं। क्या मैं आज तुम्हारे साथ दौड सकती हूँ।  हमने उस कन्या को वादा दे दिया और पहले ही वर्क आऊट में तुम्हारे ड्रामे शुरू हो गये। वो तो अच्छा था कि हर वर्क आऊट के बीच में ३ मिनट का अन्तर था और उस बीच में हमने तुम्हे समझा लिया कि इज्जत की बात है आज साथ न छोडो।  वरना कल तो तुमने इज्जत का कूडा कर दिया था।  देखा आखिरी वर्क आऊट के बाद कन्या कितनी खुश थी, अपने से अपना फ़ोन नम्बर दिया और कहा कि हमें शुक्रवार को भी साथ दौडना चाहिये।  आज सुबह सुबह ईमेल आया कि क्या शुक्रवार को शाम ४:३० का समय मेरे लिये उचित है। लेकिन तुम्हे ये सब क्यों बरदाश्त होगा, जलती जो हो तुम मुझसे।

कुछ सीखो बांयी टांग से, कितना भी कम्पटीशन हो जरा भी नहीं डरती। उसको बोलो कि थोडा तेज दौडें तो बोलती है हाँ क्यों नहीं। एक तुम हो, जरा जरा सी बात में नाटक शुरू कि आज गर्मी बहुत है, आज वार्म अप ठीक से नहीं हुआ।

अब शनिवार को एक ५ किमी की दौड है। तुम्हे भी पता है कि ये दौड कितनी जरूरी है। इस दौड में हम सब मिलकर २० मिनट का गोल तोडने की फ़िराक में हैं। २० मिनट का मतलब जानती हो? हर किमी ४ मिनट से कम समय में पूरा करना।  ये तुम भी जानती हो कि पिछले एक महीने की मेहनत के बाद ये हो जाना चाहिये।  अगर तुम राजी न हो तो मैं अपना नाम वापिस ले लूँ लेकिन अगर एक बार तैयार हो जाओ तो फ़िर ५ किमी के बीच में तुम्हारा ड्रामा नहीं चाहिये।

एक बात और, हमें पता है कि दौड से १ दिन पहले तुम्हे आराम चाहिये होता है। लेकिन ये केवल ५ किमी की दौड है और हम शुक्रवार को उस कन्या के साथ दौडने का वादा कर चुके हैं। अब नौटंकी बन्द करो और सीधे सीधे लाईन पर आ जाओ वरना हमें उंगली टेढा करना भी आता है।

8 टिप्‍पणियां:

  1. अगर यह अंतर्ध्‍वनि है तो टांग का जवाब भी आना चाहिए।
    सच कहूं तो मुझे उसका अधिक इंतजार रहेगा।


    :)

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  2. विस्तृत विवरण और सूचना देने का यह अंदाज भी बहुत पसंद आया. हमारी शुभकामनाऐं.

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  3. अरे बहन तुम इन नीरज जी की बातों में मत आओ। मैं तो तुम्हें अपना अभिन्न साथी मानती हूं। हम दोनो तो जन्मतुआ गुंइयां हैं। तुम मेरा साथ देती हो, मैं तुम्हारा। इस बार नहीं हुआ तो क्या? हम दोनो मिल कर सारी दुनियां जीतेंगे।
    खुश रहो बहन।
    --- तुम्हारी, बाईं टांग!

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  4. neeraj jee aapke is roop kee kalpna naheen kee thee . rochak . aapko ' namami ramam ' sun aanand mila main dhanya hoon !

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  5. sun lo dayin taang, after all ye ek ladki se kiya hua promise hai.. aur jo neeraj sir kaise bhi poora karke rahenge :P

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  6. बहुत ही अच्छा अन्दाज़ है । आपका मन भी आपकी रचना की तरह सुन्दर होगा तभी तो आप इतना अच्छा लिखते हैं । मैं तो वाक़ई आपका फ़ैन हो गया ।

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  7. बेहतरीन पोस्ट नीरज , आज तुम्हारी रनिंग सम्बन्धी हर पोस्ट पढ़ी , और अपने पास लिंक भी सेव किया ! निश्चित ही इसका फायदा होगा मुझे , आभार !!

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