नोट: सिर्फ़ १८ वर्ष या उससे अधिक उम्र के पाठकों के लिये। वैसे इसमें ऐसा कुछ भी अश्लील नहीं है। कल एक मित्र ने यूट्यूब पर इस विज्ञापन का लिंक भेजा और इसे देखने के बाद मैं हंसता रहा, लैब में सब सोच रहे थे कि क्या नीरज पागल हो गया है। फ़िर बाकी सबको दिखाया तो सब लोग विज्ञापन देखकर मुस्कुराने लगे। इस विज्ञापन को अभी तक टेलीविजन पर नहीं देखा है, हो सकता है Nike इसे दिखाये भी नहीं। लेकिन आप देखिये और बताईये कि क्या ये अश्लील है?
ध्यान दीजियेगा कि इस विज्ञापन में दिखाये गये धावकों में से अधिकतर विश्वस्तरीय हैं। बाकी आप देखकर खुद ही निर्णय लें, ;-)
मंगलवार, अप्रैल 21, 2009
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भाई जी अब क्या कहें...?
जवाब देंहटाएंये कॉन्सेप्ट आदमी की उसी भावना को भुनाने के लिए लिया गया है जिससे की वो अश्लील चीज़ों की तरफ आकर्षित होता है। मसलन मैं भी इसका शीर्षक पढ़कर चला आया कि देखूं कितना अश्लील मामला है....
MAIN BHI SHIRSHAK PADH KE HI AAYA HUN.....AGAR AAP BURA NAA MANE TO AAPSE EK SAWAAL KYA AAP ISE APNE MAATA PITA APNE BHAAEE AUR BAHANO KE SAATH BAITH KE DEKH SAKTE HAI AUR SAATH ME CHARCHAA KAR SAKTE HAI ..???? AGAR HAAN TO JAISA KE AAPNE KAHAA HAI YE ASHLIL NAHI HAI TO MAIN MAAN LUNGA ......JABKI MERA MAANANA HAI KE AAJ BHI HINDUSTAAN ME JAB CAREFREE KA ADD AATA HAI TO TV KA CHANEL BADAL LIYAA JAATA HAI .....?
जवाब देंहटाएंAAPKA
ARSH
देख लिया भाई जी कतई अश्लील नही है...बाकि भारतीय टेलीविजन में नही आएगा इसकी गारंटी है.
जवाब देंहटाएंItz called TITALLlATING , not obscene.Still ads of some jeans manufacturing companies are real obscene where girls unbutton a male's jeans. Macho underwear ad being shown on t.v. is obscene and in a bad taste.
जवाब देंहटाएंअश्लील की परिभाषा और चेंप देते तो समझने में आसानी हो जाती. :)
जवाब देंहटाएंश्लील और अश्लील में कौन बताये भेद।
जवाब देंहटाएंआदम युग हम जा रहे प्रगट करेंगे खेद।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
इस स्तर पर अश्लीलता की गुंजाइश ही कहाँ रह गई है। ऐसे स्तर पर तो शरीर की उन ग्रंथियों ने भी अपना काम करना बंद कर दिया होगा जो यौन आकर्षण के लिए जिम्मेदार होती हैं।
जवाब देंहटाएं१. श्लील-अश्लील और वर्जनायें बहुत निम्न और बहुत उच्च वर्ग में अपने अर्थ खो बैठती हैं। अत: यह कहना कठिन है कि यह विज्ञापन अश्लील है या नहीं।
जवाब देंहटाएं२. शायद तालिस्मान यह है कि आप इसे सब उम्र के परिवार के सदस्यों के साथ बैठ देख सकते हैं या नहीं। यदि हां, तो ठीक अन्यथा कुछ गड़बड़ है।
ये अश्लील नहीं है ये तो नंगापन है, लेकिन ये एड भारत में तो शायद नहीं ही दिखाया जाएगा। पर अभी भौंडे और भद्दे एड दिखाए जा रहे हैं जो कि अश्लील से भी कहीं ज्यादा है। उनपर तो रोक लगनी ही चाहिए।
जवाब देंहटाएंजो भी हो क्रिएटिव तो है ही :-)
जवाब देंहटाएंऔर अपने यहाँ तो आजकल बिना दोहरे मीनिंग के ऐड बनते ही नहीं हैं....
congrats ! u have most visits. this is one of most tried and tested fundaz here. if u want to repeat this feat don't forget to include words like 'ashleel', 'nangai' and 'sexy' in ur titles dear.
जवाब देंहटाएंवैसे तो मै इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता क्योंकि टिप्पणी उस चीज़ पर की जा सकती है जिसको समझा जा सके या कहें कि उस चीज़ का कोई मतलब हो....पर इस विज्ञापन का कौन सा मतलब क्रियेटर समझाना चाहता है ये तो समझ नहीं आ रहा...आपने इस पर टिप्पणी मांगी थी तो मैने ये बात कही...लेकिन एक बात तो तय जूतों के ऐसे विज्ञापन और कितने अनबर्दास्तेबल बन सकते हैं इसका तो पता चल ही गया..जहां तक अश्लीलता का सवाल हैं अश्लील चीजों का भी कुछ न कुछ मतलब होता मसलन किसी का कपड़े उतराना किसी के लिए सेक्स करने जितना भडकाउ हो सकता हैं पर किसी के लिए ये उतना ही आम है जितना ख़ुद को बिना कपड़ों में देखना..नज़र और समझ का फेर है बस...
जवाब देंहटाएंजहाँ सब नंगे हों वहाँ श्लील क्या अश्लील क्या? सब से ज्यादा अश्लील तो वह खानसामा है जो एप्रेन पहनकर सभ्य दिखनें की कोशिश में मानव दिख रहा है।
जवाब देंहटाएंRepublic Day Quotes Shayari in Hindi
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