अक्सर मैं भावनाओं के प्रवाह में कुछ भी लिखने से बहुत गुरेज करता हूँ लेकिन,
तुम आज कुछ भी न पूछो कि दिल उदास बहुत है :-( :-( :-(
शुक्रवार, नवंबर 28, 2008
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मन के अंतर में हर क्षण अनेकों भाव उमडते रहतें हैं । इन्ही भावों को हिन्दी भाषा के माध्यम से अंतर्जाल पर लिखने का प्रयास किया है ।
उदासी शेयर करने से कम होती है। अकेले रहने में अवसाद बनाती है।
जवाब देंहटाएंaap ki udasi me shamil...!
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