गुरुवार, जुलाई 17, 2008

दिल के लिये मुफ़ीद है दौडना !!!

किसी भी तरह का हल्का व्यायाम सेहत के लिये लाभदायक होता है । आज मैं अपने पसंदीदा व्यायाम अर्थात दौडने की बात करूंगा । दौडना का भिन्न भिन्न लोगों के लिये अर्थ भिन्न हो सकता है । लेकिन आज के लेख में दौडने से मेरा तात्पर्य किसी दौड का जीतने के उद्देश्य से दौडना नहीं बल्कि हल्के फ़ुल्के व्यायाम के रूप में दौडने से है । मान लीजिये आपने पिछले १० वर्षों में कभी दौड नहीं लगायी है (पत्नी के बेलन से बचने और ट्रेन को पकडने को छोडकर) तो भी आप इसको आसानी से नियमित रूप से अपना सकते हैं ।

दौडना दिल के लिये बडा मुफ़ीद होता है । दौडने से हृदय की मांसपेशियाँ विकसित होती हैं, हृदय के चैम्बर का आकार बडा होता है और हर स्ट्रोक में हृदय की रक्त भेजने की क्षमता बढती है । चूँकि आप हर स्ट्रोक में पहले से अधिक रक्त भेज सकते हैं इसलिये नियमित दौडने से सामान्य परिस्थितियों (जब आप दौड नहीं रहे हों) में आपके हृदय की प्रति मिनट धडकन कम हो जाती हैं । प्रति मिनट धडकन कम होने से आपके हृदय को आराम मिलता है और वो आपको दुआयें देता है । इससे आपके रक्तचाप में भी गिरावट आती है । पिछले १.५ वर्षों से नियमित दौडने के कारण सामान्य स्थिति में मेरा रक्तचाप ८०/१२० के स्थान पर ७०/११० तक आ गया है ।

दौडते समय शरीर की मांसपेशियों में आक्सीजन की नियमित खुराक पंहुचती रहे, इसके लिये आपका शरीर अपने आप ही ऊतकों में नयी शिराओं का निर्माण प्रारम्भ कर देता है । इससे हॄदय के अलावा अन्य मांसपेशियाँ भी स्वस्थ रहती हैं । तीसरा सबसे बडा फ़ायदा होता है कि आपके रक्त के हीमोग्लोबिन की आक्सीजन को ऊतकों तक पंहुचाने की क्षमता का भी क्रमश: विकास होता है ।

इसके अलावा बढा हुआ वजन पूर्व स्थान पर आ जाता है, आस पडौसी इज्जत की नजर से देखते हैं, चोर पर्स चुरा कर भागे तो आप उसे पकड सकते हैं । यदि आप युवा हैं तो अक्षय कुमार स्टाईल में किसी युवा लडकी का पर्स वापिस लाकर दे सकते हैं, और युवा नहीं हैं तो ऐसा करके पास खडे युवाओं को शर्मिन्दा कर सकते हैं :-)

ये सब तो आप सभी जानते हैं लेकिन न दौडने वालों की दो प्रमुख समस्यायें होती हैं । पहली कि जोश में आकर दो दिन दौडे और तीसरे दिन हाथ, पैर, कमर और हर जगह होने वाले दर्द के कारण फ़िर से न दौडने का निश्चय कर लेते हैं । दूसरी समस्या ज्यादा जोश के कारण होती है के वो एक हफ़्ते में ही अगली मैराथन दौड लेना चाहते हैं और इसके चलते चोटिल हो जाते हैं ।

इसलिये इसको थोडा वैज्ञानिक तरीके से समझते हैं ।




आपका आज का फ़िटनेस कुछ भी हो, अगर आप छ: सप्ताह तक किसी भी नये व्यायाम को करेंगे तो वो ही आपका नया फ़िटनेस बन जायेगा बर्शते कि आप अपने आप को बहुत ज्यादा फ़ंतासी की दुनिया में न ले जाये । मान लीजिये कि आप आज दौडना प्रारम्भ करते हैं तो आज २ किमी ही दौडिये और १० मिनट प्रति किमी की रफ़्तार से दौडिये । आपको बीस मिनट लगेंगे २ किमी दौडने में और सम्भव है कि ४ दिनों के बाद आपको लगे कि ये तो बहुत आसान है और आज में ३ किमी दौड लेता हूँ । ऐसे विचारों से बचे और कम से कम छः सप्ताह तक इस रूटीन को जारी रखें । छ: सप्ताह के बाद आप आगे प्रयोग कर सकते हैं जैसे कि रफ़्तार बढाना अथवा दूरी बढाना । नये लोगों के लिये रफ़्तार कम मायने रखती है और उन्हें दूरी बढाने का प्रयास करना चाहिये ।




इसके अलावा किसी साथी के साथ दौडना प्रारम्भ करना बहुत फ़ायदेमन्द होता है क्योंकि आप दोनों एक दूसरे को दिशानिर्देश देते हुये ट्रैक पर रखते हैं ।
इसके अलावा दो अन्य नियमों का पालन करना न भूलें ।

१) हाईड्रेट, हाईड्रेट, हाईड्रेट: अर्थात पानी पियें, पानी पियें और पानी पिंयें ।
२) जरूरत से ज्यादा अपने को कष्ट न दें, दौडने को जीवन का अंग बनायें न कि जीवन को दौडने का ।

इतनी सब जानकारी के बावजूद मैं एक सामान्य सा नियम भूल गया और एक ही महीने में अपनी मैराथन ट्रेनिंग को बहुत आगे ले जाने की चाहत में चोटिल हो बैठा । आज लगभग बीस दिनों के बाद ११ किमी दौडा हूँ और बहुत अच्छा अहसास हुआ है । ऐसा लग रहा है कि चोट से उबर चुका हूँ और अपनी आगे की ट्रेनिंग जारी रख सकता हूँ । मेरी ट्रेनिंग के बारे में जानकारी इस लिंक को क्लिक करके प्राप्त की जा सकती है । लाल रंग से लिखे हुये आंकडे मेरे चोटिल होने के बारे में जानकारी देते हैं ।




नीरज रोहिल्ला ।

6 टिप्‍पणियां:

  1. नीरज जी ग्राफ देकर आपने ओर काम आसान कर दिया ....पर आपको एक मोटी सी बात बताता हूँ .....हफ्ते में ५ दिन ४५ मिनट चलने से आप बेहद बढ़िया दिल लेकर काम चला सकते है ....चलते वक़्त शुरुआत धीमे से करे फ़िर थोड़ा तेज हो जाये ओर आख़िर में उसी रफ़्तार पर रुके जिससे आपने चलना शुरू किया ,
    किसी मॉल में जाते वक़्त सीडियो का इस्तेमाल करे ,ड्रिंक कम से कम ले ले भी तो पानी के साथ धीरे धीरे पिये,खली पेट कभी न ले ,खाने को चबा चबा कर खाये ओर सुबह का नाश्ता कभी मिस न करे ......
    ब्रेकफास्ट राजा की तरह ,लंच दरबारी ओर डिनर भिखारी की तरह होना चाहिये ....हम लोग उल्टा करते है....

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  2. मैं भी बहुत दिनों से कोशिश कर रहा हूँ इस व्यायाम के लिए... ये तो नहीं कर पा रहा... साथ में स्विमिंग भी छुट गया है. कुछ करना पड़ेगा जल्दी ही !

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  3. अभी तो बस टहल कर काम चला रहे हैं. जानकारी अच्छी दी है.

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  4. भाई, हम तो टहलक उम्र में आ गये हैं। अनुराग जी की बात काम की प्रतीत होती है। यह जरूर है कि आपकी उम्र से नियमित दौड़ते होते तो शायद अब भी दौड़ने लायक होते।

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  5. नीरज जी,
    इतनी उपयोगी जानकारी के लिए धन्यवाद. शायद आपकी प्रेरणा से वापस अपना मित्र बन सकूं (व्यायाम कर के).

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  6. अजी जिन्दगी ने बहुत दोडाया, अब हम जिन्दगी को दोडा रहे हे,थोडा बहुत टहल लिये , धन्यवाद

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