बात लगभग १९९० की है । मेरे घर में एक आडियो कैसेट आयी थी जिसका टाईटल था "सुपर हिट्स १९८९". इसमें १९८९ की हिट फ़िल्मों के कुछ गीत थे । कैसेट के प्रमुख गीत थे:
१) आ प्यार के रंग भरें (जीना तेरी गली में)
२) किसे ढूँढता है पागल सपेरे (निगाहें)
३) एक दो तीन चार पाँच (तेजाब)
इसी प्रकार के गीतों के बीच में एक गुमनाम सा गीत था ।
भूल-भुलैया सा ये जीवन और हम तुम अंजान (गवाही)
तब में लगभग आठ साल का था और उस समय ही इस गीत ने मन पर कुछ अजीब सा असर किया था । मैं कैसेट को आगे-पीछे करके हमेशा उसी गीत को सुनना चाहता था । इसके बाद बचपन गया और बडे होकर जिन्दगी के कारखानों में व्यस्त हो गये । लगभग ५ साल पहले जब इंटरनेट पर गाने सुनना शुरू किया तो इस गीत को खोजने का प्रयास किया और ये गीत कहीं नहीं मिला । अलबत्ता इक्का-दुक्का जगह इस फ़िल्म के बारे में जानकारी जरूर मिली ।
इस अनोखी फ़िल्म में शेखर कपूर और जीनत अमान मुख्य भूमिका में थे । फ़िल्म की कहानी के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है । संगीत उत्तम जगदीश का था और गीतों की रचना सरदार अंजुम ने की थी । पूरी फ़िल्म में केवल दो ही गीत थे और आवाजें पंकज उदास और अनुराधा पौडवाल की थीं ।
इसके बाद मैने शिद्दत से इस गीत को खोजना शुरू किया । घर पर भी वो कैसेट कहीं गुम हो चुकी थी क्योंकि अब घर पर कोई कैसेट नहीं सुनता, कैसेट प्लेयर धूल फ़ाँक रहा है । छोटी बहन के कम्प्यूटर पर गानों का कलेक्शन देखकर थोडा धक्का जरूर लगा जब उनमें से एक भी गाना मैने सुना नहीं था :-)
पिछली बार की छुट्टियों में मैने घर में इस कैसेट को खोज निकाला, लेकिन कैसेट से mp3 बनाने के बाद कुछ मजा सा नहीं आया । कई बार फ़िर से आगे-पीछे करके कैसेट पर उस गीत को सुना । मन पुरानी यादों में लौट गया और लगा कि जब हम केवल आठ साल के थे, अच्छे संगीत को चुनना हमें तब भी आता था ।
हमने इंटरनेट पर इस गीत के लिये कई अर्जियाँ डाली और ऊपर वाले के घर देर है अंधेर नहीं की तर्ज पर एक जगह से आशा की किरन आयी । "संगीत के सितारे" नामक याहू-ग्रुप पर "राबिन भट्ट" जी का सन्देश इस प्रकार आया ।
"जिस किसी का भी नाम नीरज हो (उनके बेटे का नाम भी नीरज है ) और जो गवाही के इस गीत को सुनना चाहता हो, उसे ये गीत जरूर मिलना चाहिये"
लेकिन राबिन जी को अपने गीतों के अमेजन जंगल में से इस गीत को खोजने में लगभग १.५ वर्ष लग गये । इस बीच मेरी उनसे बात होती रही और वो मुझे याद दिलाते रहे कि वो मुझे भूले नहीं हैं । और इसी तरह एक दिन उनकी ईमेल में मुझे ये गीत प्राप्त हुआ ।
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ये बहुत सुन्दर युगल-गीत है जिसको अनुराधा पौडवाल और पंकज उदास ने पूरी ईमानदारी से गाया है । इस गीत की खासियत है कि गीत की छोटी पंक्तियों के शब्दों को गायकों ने आपस में बाँटकर गाया है जो अत्यन्त प्रभावी है । अब आप मन लगाकर इस गीत को सुनें और बतायें कि क्या ये गीत आपको पसन्द आया । गीत के बोल इस प्रकार हैं ।
भूल-भुलैया सा ये जीवन और हम तुम अन्जान
खोज रहे हैं इक दूजे में जन्मों की पहचान । २
इक रस्ते को दूजा रस्ता मिल के बन जाये मंजिल,
तूफ़ानों के लाख भंवर हो न कोई डूबे साहिल,
साथ चलें तो हो जाती है हर मुश्किल आसान ।
भूल-भुलैया सा ये जीवन और हम तुम अन्जान । २
सौ जन्मों की भटकन दिल को तडप तडप तडपाये,
दो रूहे जो एक हो जाये स्वर्ग वहीं बन जाये,
जिस्मों की इस कैद में पूरे होते हैं अरमान ।
भूल-भुलैया सा ये जीवन और हम तुम अन्जान । २
दो तकदीरें रब लिखता है इक तकदीर अधूरी,
जन्म का साथी साथ न हो तो जीना है मजबूरी,
इसीलिये तो ये दिल वाले दे देते हैं जान ।
भूल-भुलैया सा ये जीवन और हम तुम अन्जान । २
खोज रहे हैं इक दूजे में जन्मों की पहचान । २
bahut pahale ye geet sunaa thaa,bhuul bisar gayaa thaa...fir se sunvaaney ka bahut aabhaar
जवाब देंहटाएंगीत अच्छा लगा - पढ़ने और सुनने में। और भी अच्छा यह लगा कि रॉबिन भट्ट जी डेढ़ साल इसे तलाशते रहे।
जवाब देंहटाएंजहाँ तक मुझे ध्यान आता है, एस फ़िल्म के दूसरे गीत के बोल हैं -
जवाब देंहटाएं"देख के तुमको क्या होता है, कुछ ना बतायेंगे...
कुछ भी कहे कोई हम तो तुमको देखे जायेंगे."
इस गीत मे भी पंकज उधास की आवाज़ है
बढ़िया लगा गाना!
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