गुरुवार, जून 14, 2007

वाह रे पी. एन. ओक के "तेजोमहालय"

आज सुरेश जी की "ताज महल" और "तेजो महालय" वाली पोस्ट पढी और अपने आपको इस पोस्ट को लिखने से रोक नहीं सका ।

सबसे पहले उस विवादित पुस्तक के लेखक के बारे में बात करते हैं । पुरूषोत्तम नारायण ओक (पी. एन. ओक) अपने आपको एक इतिहासविद कहते अवश्य हैं लेकिन वो इतिहास विषय पर अपने शोध के लिये कम और "कांस्पिरेसी थ्योरीज" के लिये ज्यादा जाने जाते हैं । ये भी बात विचारणीय है कि पी. एन. ओक ने अभी तक किसी भी "peer reviewed journal" में अपना कोई खास शोधकार्य नहीं छापा है ।

तेजो महालय थ्योरी के अलावा भी उनके कुछ निम्न विचार हैं ।

क्रिस्चिनियटी (Christianity) = कॄष्ण स्तुति
मेक्सिको = माल्यावर्त
मक्का में काबा वास्तव में एक शिव मंदिर है ।
७८६ को अगर आप अरबी में लिखें तो उल्टी तरफ़ से पढने पर कुछ विद्वान(ओक और वर्तक सरीखे) उसमें "ओम" की झलक देख सकते हैं ।

तेजोमहालय थ्योरी पर मेरे कुछ विचार इस प्रकार हैं ।

१) मान लीजिये आपने कभी "ताज महल" का नाम नहीं सुना, अब मैं आपको एक भव्य इमारत का नाम "तेजो महालय"/"तेजो महलया" बताता हूँ । क्या आप इस नाम को सुनकर ये कह सकते हैं कि ये किसी मन्दिर का नाम है ? क्या मन्दिरों के नाम ऐसे होते हैं ? क्या ऐसा कोई और उदाहरण है ? क्या इस नाम से पता चलता है कि ये एक प्राचीन शिव मंदिर है ?

क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि "तेजो महालय", "ताज महल" को अपभ्रंश करके किसी भी तरीके से एक संस्कॄतनिष्ठ शब्द बनाने का प्रयास है ?

२) यदि आपने पी. एन. ओक की पूरी किताब पढी हो तो आप पायेंगे कि खुद पी. एन. ओक अपने तथ्यों में उलझ कर रह जाते हैं । कभी वो इसे एक शिव मंदिर तो कभी एक "राजपूती महल" बताते हैं ।

३) बाबर ने "राम मंदिर" का विध्वंस करके "बाबरी मस्जिद" का निर्माण किया था । ये बात अयोध्या के आस पास की किवदंतियों में खूब प्रचलित है और ये बात तत्कालीन एतिहासिक दस्तावेजों में दर्ज है । ऐसा कैसे हो सकता है कि उसके सैकडों वर्षों बाद हुयी इस घटना को वहाँ (आगरा/मथुरा) की जनता और इतिहास दोनों बडी आसानी से भूल गये । आगरा/मथुरा की लोककथाओं में इस प्रकार की किसी भी घटना का उल्लेख नहीं है । इतने भव्य मंदिर का इतने भव्य मकबरें में बदलाव की एतिहासिक घटना को लोग यूँ ही नहीं भूल सकते ।

४) ताजमहल से बिल्कुल सटा हुआ "ताज संग्रहालय" है । यदि आप वहाँ जायेगें तो आपको ताज महल के निर्माण सम्बन्धी कई दस्तावेज देखने का अवसर मिलेगा जो ताज महल की जमीन से लेकर पत्थरों की खरीद और मजदूरों के वेतन सम्बन्धी बातों का उल्लेख करते हैं ।

५) अगर शाहजहाँ ने एक मंदिर को तोडकर ताज महल बनवाया भी तो क्या वो इतना बडा बेवकूफ़ होगा कि मूर्तियों को एक कमरे में बंद करके छोड देगा जिससे बाद में कभी भी वो निकाली जा सकें ? एक बादशाह के लिये मूर्तियों को किसी अन्य जगह भेजना निश्चित ही बडा मुश्किल कार्य रहा होगा ।

"कांस्पिरेसी थ्योरिस्ट" आमतौर पर इस प्रकार के तर्क ज्यादा देते हैं जिनकी सामान्यत: पुष्टि न हो सके । तर्क का एक बडा सरल सा सिद्धान्त होता है; अगर आप आम राय के खिलाफ़ तर्क कर रहे हैं तो उसकी पुष्टि की जिम्मेवारी खुद आपकी होती है । उदाहरण के तौर पर क्या मैं ऐसा कह सकता हूँ कि "चाँद मक्खन का बना हुआ है, और अगर आप नहीं मानते तो साबित करिये कि चाँद मक्खन का बना हुआ नहीं है" ।


आज के लिये बस इतना ही, अगली बार बात करेंगे "राम सेतु" की और जानेंगे कि कैसे कुछ स्वयं स्थापित इतिहासविद बनकर लोगों को इस बात पर गलत तर्क परोस रहे हैं ।

साभार,
नीरज


चलते चलते: कल सुबह मैं अपने एक मित्र के साथ १४०० मील की कार यात्रा पर निकल रहा हूँ, इसलिये शायद दो दिनों के लिये संजाल पर आना संभव न हो सके । आप सभी लोगों के चिट्ठे पढने की पढास बहुत कष्ट देगी । यात्रा के बाद उसके विवरण पर भी एक पोस्ट अवश्य लिखी जायेगी ।

27 टिप्‍पणियां:

  1. आपका तर्क नम्बर तीन ज्यदा दमदार है, उससे मुकर मत जाना. :)

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  2. फ़िर तो आपके हिसाब से स्टीफ़न नैप साहब भी "किस्सागो" हुए, और मेरे इस प्रश्न का तो जवाब ही नहीं मिला कि कार्बन-१४ टेस्ट करवाने में क्या आपत्ति है ? और क्यों नहीं बन्द दरवाजे खुलवाये जाते, क्या आपका समर्थन है ?

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  3. जमैका पुलिस ने घोषणा की है कि वूल्मर की मृत्य स्वाभाविक मृत्य थी।
    ताज की बात तो बहुत पुरानी है।
    स्थापत्य कला की तरफ़ आपका ध्यान नही गया।

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  4. चलो यह तो पढ़ लिये, बढ़ लिये. अब घूम आओ, काट लेंगे किसी तरह कष्ट में यह दो दिन भी!!

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  5. मित्र...
    आपके सारे तथ्य तो माना मैंने...
    पर अगर आप कहते हो कि भारतीय लोग अपने इतिहास को नहीं भूलते..
    ये मुझे नहीं पचा...
    अगर ये ही बात होती तो नीम का पेटेंट भारत ने पेटेंट कानून आते ही कर लिया होता...
    और योग तक लौटने के लिए भारतीयों को अमेरिका कि सहायता नहीं लेनी पड़ती..
    बहुत सी बातें हैं जो हमारे जीवन शैली में विदेशी दख्लान्दजी को सत्यापित करतीं हैं...
    हमें गीता तक लौटने के लिए विधेशों से गीता लानी पड़ती है...

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  6. बेनामी8:56 am

    ummid to nahin hai ki isko aap post hone denge parantu likh raha hoon.aap murkh hi nahin maha murkh aur olloo kism ke aadmi hain.book to aapne padhi nahin hai(padhne ke baare mein phek rahe ho), naa hi lekhak ke bare mein thik se zante ho. aur to aur aapne khud hi ajibogareeb tark dekar dusre ko example se galat sidh kiya hai(sat sat naman aapko is baat ke liye).Kam se kam example to sahi diya hota. har point se saaf jhalakta hai ki aapne book ki kuchek line padhi hai.apne pont number 2 ko lijiye isme ulaghne bali koi baat hi nahi hai rajayein us daur mein apne adhikarit bhawan ka naam alag se bhi rakhte the.AAP to ye bhi nahin zante ki bharat mein kitne hi mandir hai zise mahal etyaadi do naamo se zaana zaata hai.1st point ko le lo book mein hi mahalya sabd ke aur mandir ka zikra hai lekin aap kahte hain ke aise naam ka koi mandir hai h nahi. Isse yah sidh hota hai ki aapne book nahi padhi hai aur kewal dinge hhank rahe hain.khair aap to aap hai ekdam mahan.

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  7. बेनामी9:03 am

    TISRA POINT GAZAB KA LIKHA HAI TUNE
    ZARA SOCH AGAR RAJA PRAJA KO KOI BAAT ZAANNE HI NAA DE TO KYA LOGON KO PATA HOGA.CHAL TU HI BATA NA MUGHE KI GOVERNMENT KYA DEFENCE KI SAARI BAAT LEAK HONE DETI HAI KUCH BATATI HAI KUCH NAHI BHI BATATI HAI.KHAIR TU TO MURKH HAI TERE DIMAG MEIN YE SAB KAHAN SE AAYEGA.

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  8. बेनामी9:15 am

    AGAR SHAHJAHAN MURTIYON KO WAHA SE BAHAR LE ZAATA TO YAKINAN HI KISI NA KISI KO YE BAAT PATA CHAL ZAATI ZO SABKO IS BARE MEIN BATA DETA.DUSRA YE KI SHAHJAHAN NE YE SOCHA BHI NAHI HOGA KI MUGHAL EMPIRE KABHI KHATM BHI HOGA.

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  9. बेनामी9:20 am

    mughe pata nahi tha ki log aapko gorilla kahte hai lekin maine zab aapke tasveer ko dekha to achanak hi muh se nikal pada "gorilla" .AAina dekhiye aapke muh se bhi niklega.

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  10. यार नीरज तू क्यों ऐसे उलजुलूल लिखता है। मुझे नहीं लगता है कि मुझे कुछ कहने की आवश्यकता है। सारे कमेन्टस् पढ कर तू समझ ही गया होगा। विशेषकर R.C. MISHRA के कमेन्ट पर गौर करना। उन्होने ठीक ही कहा है कि स्थापत्य कला की ओर तेरा ध्यान नहीं गया। एक अच्छा लेखक या तर्कवादी वो है जो पूर्ण मनन पष्चात् लिखे या बोले। अगर यह नही होता है तो जरूरी नहीं हर कोई लिखे व तर्क दे। कौवे ने लोमडी द्वारा अपनी झूठी तारीफ में मुख से रोटी का टूकडा गिरा दिया था। तू भी कुछेक के कारण ऐसा ही कर रहा है। अगर कौवे ने अपनी तारीफ के बजाए अपने तिरष्कारों की ओर गौर फरमाया होता तो रोटी का टूकडा उसे खोना न पडता जैसे की तूने अपना सम्मान खोया।

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  11. बेनामी1:42 pm

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    all possible no deposit bonuses starting bankrolls for free Good luck at the tables.

    Donald Duck

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  12. mujhe lagta hai ye neeraj kisi hindu ki santaan na hokar kisi vishesh prani ki santaan hai, jo hinduo ke liye itna keh kar bhi zinda hai

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  13. in democracy everyone have a right to say..
    blog mai hume sirf doosaro ke comment sun kar unhe analyze karna chahiye.
    dont be so much angry

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  14. comment bias free hone chahiye...
    religious nhi...........
    jo sahi hai wo sahi hai.....
    agar hum pahle se he biased ho jaye to hum satya nhi swikarte.......

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  15. बेनामी10:56 pm

    neeraj its sheer waste fo time to continue on such debates

    so
    "keep running " !!!!!!!!!

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  16. बेनामी7:37 pm

    अंग्रेजी वाले कमेंट्स का हिन्दी रूपान्तर लिख रहा हूँ सुविधा के लिए -
    बेनामी ने कहा…

    उम्मीद तो नहीं है की इसको आप पोस्ट होने देंगे परंतु लिख रहा हून.आप मूर्ख ही नहीं महा मूर्ख और ओल्लू किस्म के आदमी हैं.बुक तो आपने पढ़ी नहीं है(पढ़ने के बारे में फेक रहे हो), ना ही लेखक के बारे में ठीक से ज़नटे हो. और तो और आपने खुद ही अजीबोगरीब तर्क देकर दूसरे को एग्ज़ॅंपल से ग़लत सीध किया है(सात सात नमन आपको इस बात के लिए).कम से कम एग्ज़ॅंपल तो सही दिया होता. हर पॉइंट से सॉफ झलकता है की आपने बुक की कुछेक लाइन पढ़ी है.अपने पॉंट नंबर 2 को लीजिए इसमे उलघने बलि कोई बात ही नही है राजायें उस दौर में अपने अधिकरित भवन का नाम अलग से भी रखते थे.आप तो ये भी नहीं ज़नटे की भारत में कितने ही मंदिर है ज़िसे महल एत्यादि दो नामो से ज़ाना ज़ाटा है.1स्ट्रीट पॉइंट को ले लो बुक में ही महलया साबद के और मंदिर का ज़िकरा है लेकिन आप कहते हैं के ऐसे नाम का कोई मंदिर है ह नही. इससे यह सीध होता है की आपने बुक नही पढ़ी है और केवल डिंगे हहांक रहे हैं.खैर आप तो आप है एकदम महान.
    8:56 पूर्वाह्न
    बेनामी ने कहा…

    तीसरा पॉइंट ग़ज़ब का लिखा है तूने
    ज़रा सोच अगर राजा प्रजा को कोई बात ज़ानने ही ना दे तो क्या लोगों को पता होगा.चल तू ही बता ना मुघे की गवर्नमेंट क्या डिफेन्स की सारी बात लीक होने देती है कुछ बताती है कुछ नही भी बताती है.खैर तू तो मूर्ख है तेरे दिमाग़ में ये सब कहाँ से आएगा.
    9:03 पूर्वाह्न
    बेनामी ने कहा…

    अगर शाहजहाँ मूर्तियों को वाहा से बाहर ले ज़ाटा तो यक़ीनन ही किसी ना किसी को ये बात पता चल ज़ाति ज़ो सबको इस बारे में बता देता.दूसरा ये की शाहजहाँ ने ये सोचा भी नही होगा की म्य्हेल एंपाइयर कभी ख़त्म भी होगा.
    9:15 पूर्वाह्न
    बेनामी ने कहा…

    मुघे पता नही था की लोग आपको गॉरिला कहते है लेकिन मैने ज़ॅब आपके तस्वीर को देखा तो अचानक ही मूह से निकल पड़ा "गॉरिला" .आआइन देखिए आपके मूह से भी निकलेगा.
    9:20 पूर्वाह्न बॉन्ड ने कहा…

    मुझे लगता है ये नीरज किसी हिंदू की संतान ना होकर किसी विशेष प्राणी की संतान है, जो हिंदुव के लिए इतना कह कर भी ज़िंदा है
    11:13 पूर्वाह्न
    कुंदन सिंग बोरा ने कहा…

    इन डेमॉक्रेसी एवेरिवन हॅव आ रिघ्त तो से..
    ब्लॉग मई ह्यूम सिर्फ़ दूसरो के कॉमेंट सुन कर उन्हे आनलाइज़ करना चाहिए.
    डोंट बे सो मच आंग्री
    1:41 पूर्वाह्न
    कुंदन सिंग बोरा ने कहा…

    कॉमेंट बाइयस फ्री होने चाहिए...
    रिलिजियस न्ही...........
    जो सही है वो सही है.....
    अगर हम पहले से हे बाइयस्ड हो जाए तो हम सत्या न्ही स्वीकारते.......
    1:43 पूर्वाह्न

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  17. अरे मित्र कोई ढंग की खोज कर के ले आते...
    इतिहास आपने नहीं पढ़ा शायद ... दिल्ली का क़ुतुब मीनार भी ३०० मंदिरों को ध्वस्त कर के उन्हीं के पत्थरों से निर्मित है... मुगलों में हिंदू मंदिरों और स्थापत्य को जितना नुक्सान पहुंचाया उसके लिए उन्हें इतिहास माफ नहीं करेगा... स्थापत्य कला का इतिहास देखिये तो केवल हिंदू स्थापत्य में कमल का प्रतीक प्रयोग होता रहा है .. मै ये तो नहीं मानता कि इसका नाम तेजोमहालय हो सकता है ... लेकिन मंदिर तोड़ कर इसको मकबरे का रूप दिया गया है इसमें कोई शक नहीं... कोई भी सरकार तुष्टीकरण की नीति के कारण इनकी ठीक ठीक जांच नहीं करवाती है ... अयोध्या की जांच में जब खुदाई हुई तो उसमे मूर्तियां और बहुत से अन्य मंदिर के सुराग मिलने लगे ... और खुदाई बन्द कर दी गयी ... आप जैसे जयचंदों ने हिन्दुस्तान को बर्बाद कर दिया और आज भी घुन की तरह खाए जा रहे हैं ...

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  18. तुम्हें कब बुद्धि आयेगी | जब भी भारत का कोई मास्टर कोई मास्टरपीस काम करता है तो उसे जान बुझ कर के नज़रंदाज़ किया जाता है | चाहे कला का क्षेत्र हो या विज्ञान का | इसलिए पियर रिव्यू की बात ना करो |

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  19. Ashutosh2:06 am

    Niraj sahab, First read every thing regarding Taj Mahal carefully. About design and every aspect of it.....baki apke sare points mai kabhi bhi jab aap chahe clear kar sakoonga...because i had studying it for last 3 years

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  20. बेनामी6:52 am

    SIR JI AGAR WO TAJMAHAL HI HAI TO C14 CARBAN TEST KARANE SE PATA CHAL JAYEGA KI WO TAJMAHAL HAI YA NAHI

    WAISE BHI MUSLIM BADSAH KITNE BEKAR THE AAP KO TO PATA HI HAI HINDU KO DEKHNA BHI PASAND NAHI KARTE THE TO TAJMAHAL MAIN HINDU KALASH AUR NARIYAL KAHA SE AA GAYA KYO NAHI USKE BAND KAMRO KO KHOL KE CHECK KAR LETE HAI SABKE SAMNE

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  21. बेनामी7:20 am

    Bhai mai Engineer hoon, sari comments padneke bad Ek request hai Neeraj ji app Tajmahal hi tajmahal hai iski pusti keliye point wise liken ya P N OKE, KE HAR POINTS KO TARKIK ROOP SE GALT SABIT KAREN, Sayad app ki Image sudhre

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  22. mai benami jee se sahamat hoon, c14 test karne ke baad sara sach samne hoga.
    govt. ko chahiye ki sachai ko bahr laye aur c14 test karwaye

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  23. बेनामी1:29 am

    too paagal hai yaar,, mullon ki aulad lagta hai....

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  24. बेनामी1:33 am

    yedya bhokacha ahes tu murkh manus asach kahitari binabudache bolu shakato

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  25. सारी पोस्टों को पढ़्ने के बाद, अन्यत्र तेजोमहालय के पक्ष में दिये गये तर्कों को भी पढ़ने के बाद पक्ष - विपक्ष में कुछ सवाल उभर आए.

    पक्ष

    - मकबरा दुमंजिला बनवाने के पीछे तर्क क्या था ? कब्र उपर - नीचे दोनों जगह क्यों ? ऐसा और कहीं क्यों नहीं दिखता ?


    विपक्ष

    - यदि इसका अस्तीत्व पहले से ही था तो इतना भब्य मंदिर का उल्लेख कहीं तो मिलता? कहते हैं जयपुर के राजा का इसी बात को लेकर शाहजहां से अनबन थी. जयपुर का राजा पढ़ा - लिखा था, कहीं तो जिक्र किया होता !

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  26. बेनामी12:55 pm

    आपने तो उनका नाम तक ग़लत लिखा है. पुरुषोत्तम नागेश ओक की जगह नारायण बना दिया. नागेश को नारायण बनाने का चमत्कार तो कोई Eminent टैप का झोलाधारी ही कर सकता है.

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