इस पोस्ट को लिखने के लिये दिल तडप रहा था और इस वीडियो को अब तक दसियों बार देखने के बाद भी मन नहीं भरा। मिल्खा सिंह के १९५८ में हुये राष्ट्रमंडल खेलों में ४०० मीटर दौड में स्वर्ण पदक जीतने के ५२ वर्षों के बाद भारत ने एथलेटिक्स में एक और स्वर्णपदक जीता और जिस बहादुरी से जीता उसके लिये इन चारों महिलाओं की जितनी तारीफ़ की जाये कम है। तुम चारों को मेरा सैकडों बार सलाम !!!
भारतीय टीम स्वर्ण पदक के लिये फ़ेवरिट नहीं थी। लेकिन जैसा के मेरे मित्र साईमन कहते हैं कि दौड का फ़ैसला उसी क्षण होता है उससे पहले या उसके बाद नहीं। तुमने भले ही मुझे पहले हराया हो लेकिन आज जीतने के लिये तुम्हे मुझे एक बार फ़िर हराना पडेगा।
भारत की तरफ़ से शुरूआत मनजीत कौर ने की । मनजीत ने बहुत शानदार तरीके से ४०० मीटर पूरे किये और दूसरे स्थान पर रहते हुये बैटन सिनी जोसेफ़ तो थमाया। दूसरे स्थान पर सिमी जोसेफ़ ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुये द्वितीय स्थान को बरकरार रखा। लेकिन नाईजीरिया की खिलाडी एक अच्छी खासी लीड बनाने में कामयाब हो गयी। सिमी ने बैटन अश्विनी अकुंजी को थमाया और यहीं अश्विनी ने दिलों की धडकनों को इतना बढा दिया कि इस दौड को बैठकर देखना नामुमकिन हो गया।
अश्विनी अकुंजी ने पहले २०० मीटर में तेजी से दौडते हुये नाईजीरिया की लीड को कम किया। २०० मीटर के कर्व के बाद जब नाईजीरिया की खिलाडी थोडा थकने लगी तो अश्विनी ने अदम्य साहस और हौसले का परिचय देते हुये आखिरी १०० मीटर में भारत को पहले स्थान पर ला दिया। जिस समय अश्विनी ने मनदीप कौर को बैटन थमाया उसके तुरन्त बाद ही नाईजिरिया की खिलाडी भी दौड पडी।
ये आखिरी ४०० मीटर जानलेवा थे। नाईजीरिया की खिलाडी १०० मीटर में ही मनदीप के बराबर आ गयी और दोनों कदम से कदम मिलाकर दौड रही थी। देखने वालों के रोंगटे खडे हो रहे थे और दौड में २५० मीटर रहते हुये मनदीप आगे निकली, नाईजीरिया की खिलाडी भी उनके साथ आगे बढीं और २०० मीटर तक आते आते भी कुछ कहना मुश्किल था। मनदीप ने अपनी लीड को बरकरार रखा तो आखिरी ५० मीटर में पूरे आत्मविश्वास से दौडते हुये लीड को और बढा दिया। जब ३:२७:७८ में मनदीप ने समाप्ति रेखा को पार किया तो एक इतिहास बन चुका था। राष्ट्रमंडल खेलों में एथलेटिक्स की ४*४०० मीटर प्रतियोगिता (जिसे मैं सबसे कठिन प्रतियोगिता मानता हूँ) में भारतीय धावकों ने स्वर्णपदक जीत कर १२० करोड लोगों को जो तोहफ़ा दिया है, वो अतुलनीय है।
इस दौड का वीडियो जब मैने अपने दोस्तों को दिखाया तो उनके विचार ये है (ये सभी मेरे धावक मित्र हैं)
Luis Armenteros (लुई, ह्यूस्टन के टाप ३ धावकों में आते हैं) I still remember when the US beat the French in the 4x100 free iin the 2008 Oly games. I was yelling at the top of my lungs when we won! Love love love the way the crowds energy increases after each handoff then ERUPTS on the final bend. THIS is why the 4x400 is THE marquee event of all of athletics! Thanks!
Chris McGrew Yes, that was a phenomenal 2nd half by India. What a great race!
Watching again, that 3rd leg was truly something special, as was the surge with 250m remaining. What a couragous move! No matter where you are from, that's the stuff that brings tears of joy.
Neeraj Rohilla @Chris: Yes, that surge was a ballsy move. What a finish.
Chris McGrew Ballsy, indeed. With a Kenyan (He meant Nigerian) right on her shoulder, and having to carry it home for the entire 400m...wow!
Tim McGuirk Fantastic. And Tendulkar got a double century according to the commentary. A good day to be an Indian.
अब इन्तजार किस बात का, इस जीत का वीडियो भी देख लीजिये, कमजोर दिल वाले न देखें और रूमाल पास में रखें क्योंकि पक्का आपकी आंखे भर आयेंगी और गला रूंध जायेगा।
बुधवार, अक्तूबर 13, 2010
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Superb!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंCongratulations INDIA!!!!!
I am in Australia. It is a headline here ! Simply love it !
जवाब देंहटाएंदेखकर तो विश्वास नहीं हो रहा है। आँख बन्द कर गर्व बहुत हो रहा है।
जवाब देंहटाएंवह क्षण तो हमेशा के लिए मानस पटल पर अंकित हो गया है..
जवाब देंहटाएंऔर
तुमने भले ही मुझे पहले हराया हो लेकिन आज जीतने के लिये तुम्हे मुझे एक बार फ़िर हराना पडेगा।
लाख टके की बात
विजयादशमी की अनन्त शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरेस का जीवंत विवरण दिया है आपने। जैसा मैंने कहा कि इस रेस को लाइव देख पाने मेरे लिए अपार हर्ष का विषय था। गजब का त्वरण लिया था अश्विनी ने।
जवाब देंहटाएंइतनी अच्छी पोस्ट आंखों से ओझल हो गयी थी .. वीडियो देखकर बहुत अच्छा लगा !!
जवाब देंहटाएंतालियां ...सच में आंखें भर आयीं।
जवाब देंहटाएंcan i repost this on naari blog with backlink
जवाब देंहटाएंवाकई गज़ब की रेस थी यह .... आभार नीरज आपका !!
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