रविवार, मई 24, 2009

संगीता पुरी जी के वैज्ञानिक प्रयोग पर मेरी राय !!!

संगीता पुरीजी अपने चिट्ठे पर गत्यात्मक ज्योतिष से सम्बन्धित लेख लिखती हैं। वो अक्सर प्रयास भी करती हैं कि कैसे गत्यात्मक ज्योतिष को विज्ञान सम्मत सिद्ध किया जा सके। मुझे उनके विचारों से सहमति नहीं है लेकिन उनके प्रयासों के प्रति निश्चित रूप से सम्मान का भाव है। अगर वास्तव में इस विज्ञान साबित किया जा सके तो यकीन मानिये मुझसे ज्यादा खुशी किसी को नहीं होगी। इसके विपरीत अगर आधे अधूरे तर्कों के माध्यम से इसे विज्ञान सम्मत बनाया गया तो इसमें गत्यात्मक ज्योतिष और स्वयं संगीताजी की हानि है।

इसी के चलते मैं उनकी मौसम सम्बन्धी भविष्यवाणी वाली पोस्ट और ब्लाग जगत से सम्बन्धित १०००० लोगों का डेटा इकट्ठा करने वाली पोस्ट के सम्बन्ध में अपनी राय रख रहा हूँ।

१) मौसम सम्बन्धी पोस्ट पर उनसे टिप्पणी के रूप में बातचीत के बाद लगा कि उन्होने ग्रहों की स्थिति से समूचे भारत के मौसम के बारे में पूर्वानुमान किया कि... उन्ही के शब्दों में (मेरे प्रश्न पर उनकी जवाबी टिप्पणी में):

"१ मई से ४ मई के बीच में अधिकांश जगह बारिश का योग है और लगभग पूरे भारतवर्ष में मौसम गडबड रहेगा"

इस भविष्यवाणी को जाँचने का सही तरीका है कि आप आंकडे देखें कि भारत वर्ष के लगभग ६०० जिलों में से कितनों में बरसात हुयी अथवा मौसम गडबड रहा। अगर आप ४-६-१० स्थानों पर बारिश देखकर अपनी भविष्यवाणी को सच मानती हैं तो ये वही बात हुयी जो मेरी बडी बहन कहा करती थी जब वो कक्षा ७ में थी। मेरी बहन कहती थी कि उसकी क्लास में उसकी तीन सहेलियों के मामा दिल्ली में रहते हैं इसका मतलब कि अधिकांश बच्चों के मामा दिल्ली में रहते हैं।

असल में अगर ६०० में से ५०० में भी बरसात हुयी हो तो भी ये फ़ूल-प्रूफ़ विज्ञान नहीं बन जाता लेकिन मुझे लगता नहीं कि इससे आगे जाने की नौबत आयेगी।

२) इसके अलावा आपने अपनी दूसरी पोस्ट में लिखा कि:

"इसके बावजूद 'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' का दावा है कि 25 अगस्‍त से 5 सितंबर 1967 तक या उसके आसपास जन्‍म लेनेवाले सभी स्‍त्री पुरूष 2003 के बाद से ही बहुत परेशान खुद को समस्‍याओं से घिरा हुआ पा रहे होंगे .. उसी समय से परिस्थितियों पर अपना नियंत्रण खोते जा रहे होंगे .. और खासकर इस वर्ष जनवरी से उनकी स्थिति बहुत ही बिगडी हुई हैं .. परेशानी किसी भी संदर्भ की हो सकती है .. जिसके कारण अभी भी वे लोग काफी तनाव में जी रहे हैं .. वैसे ये किसी भी बडे या छोटे पद पर .. किसी भी बडे या छोटे व्‍यवसाय से जुडे हो सकते हैं और कितनी भी बडी या छोटी संपत्ति के मालिक हो सकते हैं .. पर परेशानी वाली कोई बात सबमें मौजूद होगी"

आप चालीस वर्ष के आस-पास के लोगों की बात कर रही हैं। जो:
A) समस्याओं से घिरा पा रहे हैं
B) परिस्थितियों से नियन्त्रण खोते जा रहे हैं
C) इस वर्ष जनवरी से स्थिति बहुत ही बिगडी हुयी है
D) वो तनाव में हैं
E) परेशानी वाली कोई बात सबमें मौजूद रहेगी

मैं कहता हूँ कि किसी भी उम्र वर्ग के लोगों से बात करके देख लीजिये, सबका जवाब हाँ में ही होगा। कौन परेशान नहीं है।
अगर आप इस प्रयोग को लेकर आगे बढती भी हैं तो आपको कई अन्य प्रयोग भी करने चाहिये। मसलन अगर अन्य उम्र वर्ग के लोग भी इसका जवाब हाँ में दें तो आप अपने डेटा की व्याख्या कैसे करेंगी?

किसी भी वैज्ञानिक प्रयोग को biased नहीं होना चाहिये। मसलन आप सर्वे करा कर देखिये:

क्या देश के युवा संस्कृतिविहीन होते जा रहे हैं। आपको मनमाफ़िक जवाब मिलेगा इसे Rhetoric के क्षेत्र में Appealing to Character कहते हैं। आप ऐसा प्रश्न बुनें जिसका जवाब वही हो जो आप सुनना चाहें।

हमने आपके सवाल को १५ लोगों से पूछा।

१) चालीस वर्ष के आसपास के लोग ६ थे। २ खुश हैं, ३ ने कहा कि पाँचो (A से E तक) में से कुछ न कुछ तो हमेशा गडबड रहेगा, और १ ने जवाब देने से इंकार कर दिया।
२) ९ लोग २५-३२ वर्ष की उम्र के थे। सभी दुखी हैं, तनाव में हैं, मन्दी चल रही है :-)

अन्त में संगीताजी से अनुरोध है कि अगर वो सच में वैज्ञानिक रुप से अपनी थ्योरी को जाँचना चाहती हैं तो इसके लिये शार्टकट से काम नहीं चलेगा। किसी भी अच्छी यूनिवर्सिटी के Statistics विभाग से सम्पर्क करें अथवा Statistics से सम्बन्धित शोधपत्रों को देखकर अपने Un-biased प्रयोग बनायें जिससे की वास्तव में आपके सिद्धान्तों की पुष्टि हो सके।

इस विषय में अधिक बातचीत के लिये कोई भी अपनी टिप्पणी (मर्यादित) दे सकते हैं अथवा मुझसे ईमेल पर सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं।

आभार,
नीरज रोहिल्ला





19 टिप्‍पणियां:

  1. नीरज जी
    हमेशा से आपकी बेबाकी कायल हूं। आपने इस विषय को उठाया और इस पर लिखा, अच्छा लगा। ज्योतिष संभावनाओं की विद्या है। भविष्यवाणियां और अन्य अनुमान कितने सच साबित होते है, ये भविष्यवक्ता के ज्ञान और प्रयोगात्मक अनुभव पर निर्भर करता है। आज ज्योतिष से लोगों का भरोसा इसलिए उठ गया है क्योंकि कोई भी अल्पज्ञानी और धनलोलुप खुद को विशेषज्ञ समझने लग गया है। वास्तव में यह ज्ञान एक विज्ञान है। इसमें गणना करने के लिए गणितज्ञ होना ज़रूरी है, भौतिकशास्त्री होना ज़रूरी है। कल्पनाशीलता संभावित परिणामों के बारे में आकलन करने की योग्यता प्रदान करती है।
    जहां तक संगीता पुरी जी की बात है, उनके कई आकलन और भविष्यवाणियां अक्सर सही सिद्ध होती रही हैं। मैंने उनके कई लेख पढ़े हैं। मसलन हाल ही में उन्होंने चुनाव परिणाम पर आकलन किया था। ये आकलन 80% सही है।

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  3. बहुत अच्‍छा लिखा आपने .. मुझे आपकी किसी बात पर आपत्ति नहीं .. पर मौसम की मेरी एक नहीं तीन भविष्‍यवाणियां सही हुई हैं .. 2-3 जनवरी के बारे में भी मैने लिखा था .. उस दिन मौसम के कारण ही कितनी ट्रेनों और उडानो को कैंसिल करना पडा था .. मेरे पास पूरे वैज्ञानिक आधार हैं .. और मैं 'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' को सिद्ध कर लूंगी .. बस समय का इंतजार कर रही हूं .. वह अभी तक नहीं आया .. इसलिए इतनी बाधाएं आ रही हैं।

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  4. आलेख अच्छा है और आपने अपना पक्ष संयत शब्दों में बहुत अच्छी तरह रखा है. विमर्श का यही तरीका होना चाहिये.

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  5. नीरज जी आप की सदाशयता का कायल हो गया हूँ।

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  6. नीरज जी बिल्कुल सही सलाह और यही उचित अप्रोच भी होंनी चाहिये।

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  7. कतरा के निकल जाने का ऑप्शन भी होना चाहिये! :)
    मैने अपने लड़के की बहुत भीषण दुर्घटना झेली। उसपर बहुत से predictions मिले मुझे। वे सारे क्रैप निकले!
    जो कुछ हम कर पाये वह जद्दोजहद और डाक्टर की मेहनत से; और जो न कर पाये, वह अपनी हताशा और विल-पावर की कमी से!

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  8. नीरज जी, बहुत बढिया आलेख लिखा आपने.....किन्तु मेरे दृ्ष्टिकोण में ज्योतिष को विज्ञान सिद्ध करने के बेफालतू के प्रयास की अपेक्षा हमारा उदेश्य सिर्फ इतना होना चाहिए कि इसमें निहित "सत्य" को सामने लाया जाए.
    मान लीजिए कि अगर इसे विज्ञान मान भी लिया जाए तो क्या सत्य बदल जाएगा ?

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  9. बिलकुल सही बात कही है आपने. वैसे विज्ञान मानने की जद्दोजहद करने की क्या जरुरत? एक अलग विधा है तो इसमें क्या बुराई है? मानने वाले तो मानते ही हैं. वैसे किसी को सांख्यिकी के प्रोफेसर से संपर्क करना हो तो मेरे पास भी बहुत कान्टेक्ट है :)

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  10. अभिषेक ओझा जी , सांख्यिकी के प्रोफेसर मेरी क्‍या मदद कर सकते हें ?

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  11. आज जो भी खोज और परिणाम हमारे सामने हैं ...उस समय के लोग उन खोजों को करने वालों को बेवकूफ ही कहते थे ...लेकिन उन्होंने कर दिखाया ...और आज हम उन्हें मानते हैं ...तो इसी तरह अगर संगीता पूरी जी एक दिन इसे विज्ञानं घोषित कर सकेंगी ...तो उन्हें भी लोग मानने लगेंगे ...मेरा तो बस यही मानना है

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  12. नीरज जी मुझे एक डॉयलॉग और याद आया जो तोता छाप् ज्योतिषी कहते है" बच्चा तेरी आमदनी कम है और खर्चा ज्यादा और तू सबकी चिंता करता है तेरी कोई नही करता वगैरह वगैरह.वैसे अपनी बात कहूँ तो यह बहस कबकी outdated हो चुकी है ब्लॉगों पर यह अब क्यों दिखाई दे रही है शायद ब्लॉग की विधा अभी नई नई है इसीलिये ना?

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  13. मैने खासकर 25 अगस्‍त से 5 सितंबर 1967 तक या उसके आसपास जन्‍म लेनेवालों के बारे में कहा .. सभी यानि 100 प्रतिशत स्‍त्री पुरूष के बारे में कहा .. खासकर 2003 के बाद से ही बहुत परेशान खुद को समस्‍याओं से घिरा हुआ पा रहे होंगे .. उसी समय से परिस्थितियों पर अपना नियंत्रण खोते जा रहे होंगे .. और फिर से खासकर इस वर्ष जनवरी से उनकी स्थिति बहुत ही बिगडी हुई कहा .. इतना समययुक्‍त दावा करने के बावजूद मेरी मदद करना छोड मुझे तोताछाप ज्‍योतिषी करार दिया गया .. वाह .. क्‍या बात है !!

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  14. शरदजी,

    संगीताजी नियमित रूप से गत्यात्मक ज्योतिष पर अपने लेख लिखती हैं और अपनी भविष्यवाणी के लिये सम्भावित तर्क/कारण भी देती हैं।

    बहुत से सडक पर बैठे हुये लोग ठगने के लिये उस प्रकार की बाते करते हैं जिनका आपने उल्लेख किया है। इसलिये आपकी टिप्पणी केवल उन लोगों के सन्दर्भ में ही ठीक है।

    संगीताजी इंटरनेट पर खुले दिल से अपने विचार लिखती हैं। जिसको पढना हो पढे और चर्चा/विमर्श करे। मैं फ़िर कहता हूँ कि भले ही उनके विचारों से सहमति न हो, लेकिन उनके प्रयास और भावना का मैं सम्मान करता हूँ।

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  15. नीरज की पोस्ट और टिप्पणी से सहमति। सुन्दर!

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  16. मेरे विचार से सम्पूर्ण ज्योतिष इस पूर्वानुमान पर आधारित है कि इस दुनिया में जो भी हो रहा है वह सब नियत है और विधाता या कोई और अलौकिक शक्ति इसे अंजाम देने के लिये एक फार्मूले का प्रयोग कर रही है। इसी सर्वव्यापी फार्मूले की तलाश ज्योतिष विज्ञान (?) का सम्पूर्ण सार है। यह बात हजम करने में अधिकांश लोगों को दिक्कत होती है कि यह दुनिया बिना किसी सर्वव्यापी फार्मूले के चल रही है क्योंकि यह एक हद तक ईश्वर की प्रभुता को भी चुनौती देता है। लेकिन अगर बहुत ही साधारण सा उदाहरण लें तो एक निष्पक्ष सिक्के को उछालने पर चित या पट आने की सम्भावना आधी आधी होती है। परन्तु इसका मतलब यह नहीं है कि यदि सिक्के को दो बार उछालें तो एक बार चित और एक बार पट आयेगा। शायद इस निष्कर्ष पर पहुँचने के लिये सिक्के को 1000 बार उछालना पड़े जिसमें से लगभग 500 बार चित और 500 बार पट आये। इसे बड़ी संख्याओं का नियम (Law of large numbers) कहते हैं।

    पहली बात तो ज्योतिष कभी भी इस प्रकार की दो टूक भविष्यवाणी नहीं करता और दूसरी कि कई भविष्यवाणियाँ करता है। ऐसे में उनमें से कुछ के सच होने की प्रायिकता काफी बढ़ जाती है। यदि आपको हाईस्कूल में पढ़ी प्रायिकता का थोड़ा भी स्मरण हो तो यह बात आसानी से सिद्ध की जा सकती है कि यदि एक ज्योतिष 4 भविष्यवाणियाँ करता है तो उसमें से चारों के गलत होने की केवल 6.25% ही सम्भावना है।

    मेरे विचार से यह एक विज्ञान नहीं बल्कि एक कला है और एक ज्योतिष की सिद्धता इस बार पर निर्भर करती है कि वह अपनी भविष्यवाणियों को कितनी निपुणता से वाक्यबद्ध करता है।

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  17. अंकुर वर्मा जी ,
    आपने कहा कि यदि एक ज्योतिष 4 भविष्यवाणियाँ करता है तो उसमें से चारों के गलत होने की केवल 6.25% ही सम्भावना है। पर ध्‍यान रहे , इतनी ही संभावना चारों के सही होने की भी होती है । इसके बावजूद एक ज्‍योतिषी भविष्‍यवाणी करने का रिस्‍क लेता है और अधिकांश बार सही भविष्‍यवाणी करता है । बिना किसी आधार के यह संभव है क्‍या ? कभी इंस कोण से भी सोंचे ।

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