संगीता पुरीजी
अपने चिट्ठे पर गत्यात्मक ज्योतिष से सम्बन्धित लेख लिखती हैं। वो अक्सर प्रयास भी करती हैं कि कैसे गत्यात्मक ज्योतिष को विज्ञान सम्मत सिद्ध किया जा सके। मुझे उनके विचारों से सहमति नहीं है लेकिन उनके प्रयासों के प्रति निश्चित रूप से सम्मान का भाव है।
अगर वास्तव में इस विज्ञान साबित किया जा सके तो यकीन मानिये मुझसे ज्यादा खुशी किसी को नहीं होगी। इसके विपरीत अगर आधे अधूरे तर्कों के माध्यम से इसे विज्ञान सम्मत बनाया गया तो इसमें गत्यात्मक ज्योतिष और स्वयं संगीताजी की हानि है। इसी के चलते मैं उनकी मौसम सम्बन्धी भविष्यवाणी वाली पोस्ट और ब्लाग जगत से सम्बन्धित १०००० लोगों का डेटा इकट्ठा करने वाली पोस्ट के सम्बन्ध में अपनी राय रख रहा हूँ।
१) मौसम सम्बन्धी पोस्ट पर उनसे टिप्पणी के रूप में बातचीत के बाद लगा कि उन्होने ग्रहों की स्थिति से समूचे भारत के मौसम के बारे में पूर्वानुमान किया कि... उन्ही के शब्दों में (मेरे प्रश्न पर उनकी जवाबी टिप्पणी में):
"१ मई से ४ मई के बीच में अधिकांश जगह बारिश का योग है और लगभग पूरे भारतवर्ष में मौसम गडबड रहेगा"इस भविष्यवाणी को जाँचने का सही तरीका है कि आप आंकडे देखें कि भारत वर्ष के लगभग ६०० जिलों में से कितनों में बरसात हुयी अथवा मौसम गडबड रहा। अगर आप ४-६-१० स्थानों पर बारिश देखकर अपनी भविष्यवाणी को सच मानती हैं तो ये वही बात हुयी जो मेरी बडी बहन कहा करती थी जब वो कक्षा ७ में थी। मेरी बहन कहती थी कि उसकी क्लास में उसकी तीन सहेलियों के मामा दिल्ली में रहते हैं इसका मतलब कि अधिकांश बच्चों के मामा दिल्ली में रहते हैं।
असल में अगर ६०० में से ५०० में भी बरसात हुयी हो तो भी ये फ़ूल-प्रूफ़ विज्ञान नहीं बन जाता लेकिन मुझे लगता नहीं कि इससे आगे जाने की नौबत आयेगी।२) इसके अलावा आपने अपनी दूसरी पोस्ट में लिखा कि:
"इसके बावजूद 'गत्यात्मक ज्योतिष' का दावा है कि 25 अगस्त से 5 सितंबर 1967 तक या उसके आसपास जन्म लेनेवाले सभी स्त्री पुरूष 2003 के बाद से ही बहुत परेशान खुद को समस्याओं से घिरा हुआ पा रहे होंगे .. उसी समय से परिस्थितियों पर अपना नियंत्रण खोते जा रहे होंगे .. और खासकर इस वर्ष जनवरी से उनकी स्थिति बहुत ही बिगडी हुई हैं .. परेशानी किसी भी संदर्भ की हो सकती है .. जिसके कारण अभी भी वे लोग काफी तनाव में जी रहे हैं .. वैसे ये किसी भी बडे या छोटे पद पर .. किसी भी बडे या छोटे व्यवसाय से जुडे हो सकते हैं और कितनी भी बडी या छोटी संपत्ति के मालिक हो सकते हैं .. पर परेशानी वाली कोई बात सबमें मौजूद होगी"
आप चालीस वर्ष के आस-पास के लोगों की बात कर रही हैं। जो:
A) समस्याओं से घिरा पा रहे हैंB) परिस्थितियों से नियन्त्रण खोते जा रहे हैंC) इस वर्ष जनवरी से स्थिति बहुत ही बिगडी हुयी हैD) वो तनाव में हैंE) परेशानी वाली कोई बात सबमें मौजूद रहेगीमैं कहता हूँ कि किसी भी उम्र वर्ग के लोगों से बात करके देख लीजिये, सबका जवाब हाँ में ही होगा। कौन परेशान नहीं है।
अगर आप इस प्रयोग को लेकर आगे बढती भी हैं तो आपको कई अन्य प्रयोग भी करने चाहिये। मसलन अगर अन्य उम्र वर्ग के लोग भी इसका जवाब हाँ में दें तो आप अपने डेटा की व्याख्या कैसे करेंगी?
किसी भी वैज्ञानिक प्रयोग को biased नहीं होना चाहिये। मसलन आप सर्वे करा कर देखिये:
क्या देश के युवा संस्कृतिविहीन होते जा रहे हैं। आपको मनमाफ़िक जवाब मिलेगा इसे Rhetoric के क्षेत्र में Appealing to Character कहते हैं। आप ऐसा प्रश्न बुनें जिसका जवाब वही हो जो आप सुनना चाहें।हमने आपके सवाल को १५ लोगों से पूछा।
१) चालीस वर्ष के आसपास के लोग ६ थे। २ खुश हैं, ३ ने कहा कि पाँचो (A से E तक) में से कुछ न कुछ तो हमेशा गडबड रहेगा, और १ ने जवाब देने से इंकार कर दिया।
२) ९ लोग २५-३२ वर्ष की उम्र के थे। सभी दुखी हैं, तनाव में हैं, मन्दी चल रही है :-)
अन्त में संगीताजी से अनुरोध है कि अगर वो सच में वैज्ञानिक रुप से अपनी थ्योरी को जाँचना चाहती हैं तो इसके लिये शार्टकट से काम नहीं चलेगा। किसी भी अच्छी यूनिवर्सिटी के Statistics विभाग से सम्पर्क करें अथवा Statistics से सम्बन्धित शोधपत्रों को देखकर अपने Un-biased प्रयोग बनायें जिससे की वास्तव में आपके सिद्धान्तों की पुष्टि हो सके।इस विषय में अधिक बातचीत के लिये कोई भी अपनी टिप्पणी (मर्यादित) दे सकते हैं अथवा मुझसे ईमेल पर सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं।
आभार,
नीरज रोहिल्ला