कल की पोस्ट से बुल्लेशाह का जो खुमार चढा है वो अभी तक उतरा नहीं है। इसी सिलसिले को जारी रखते हुये आज सुनिये अपने वडाली बन्धुओं की आवाज में "घूँघट चक वो सजना"। आशा है आपको पसन्द आयेगा, :-)
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मन के अंतर में हर क्षण अनेकों भाव उमडते रहतें हैं । इन्ही भावों को हिन्दी भाषा के माध्यम से अंतर्जाल पर लिखने का प्रयास किया है ।
Bahut Badhiya. Thanks for sharing.
जवाब देंहटाएंएक से एक उम्दा पसंद है भई..आनन्द आ जाता है.
जवाब देंहटाएंबदाली बंधुओं की आवाज में जो कशिश है वो अलग ही है .... आ gya
जवाब देंहटाएंवाह दिल खुश हो गया।
जवाब देंहटाएंफ़ालो करें और नयी सरकारी नौकरियों की जानकारी प्राप्त करें:
जवाब देंहटाएंसरकारी नौकरियाँ
बाबा बुल्लेशाह का एक बार जिस पर खुमार चढ गया वो फ़िर सारी उम्र नही उतर पाया. और आवाज के जादूगरों वडाली बंधुओं की तो बात ही निराली है.
जवाब देंहटाएंइसे जितनी बार सुनो, पर मन और और की मांग करता है.
बहुत धन्यवाद.
रामराम.
सुंदर प्रस्तुति मेरे ब्लॉग पर पधार कर "सुख" की पड़ताल को देखें पढ़ें आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंhttp://manoria.blogspot.com
उम्दा! वबस लोड होनी की प्रक्रिया मेँ धैर्य का इम्तहान होता है।
जवाब देंहटाएंInformation in Hindi
जवाब देंहटाएंXerox in Hindi
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