बुधवार, अक्टूबर 29, 2008

जिन्दगी का उत्सव मनायें, कल न जाने क्या हो !!!

बुधवार को ६.६ मील दौडने के बाद हमारे धावक समूह के सभी लोग वलहाला पर एकत्रित होते हैं । अगर धावक समूह में से किसी का जन्मदिन/शादी की सालगिरह होती है तो वो व्यक्ति वलहाला पर पूरे समूह के लिये बीयर खरीदता है । आज दौड समाप्त होने के बाद पता चला कि "मिट (Mit)" सभी के लिये बीयर खरीद रहे हैं । सभी लोगों ने सोचा कि शायद "मिट" का जन्मदिन होगा और इस तरफ़ ध्यान न देकर सभी बीयर पीने में मस्त रहे । उसके करीब १ घंटे बाद "ईडी (Eddie)" ने कहा कि "मिट" कुछ बोलना चाहते हैं तो सभी ने सोचा कि शायद "मिट" कहेंगे कि आज उनका जन्मदिन है अथवा उनकी शादी की सालगिरह है ।


लेकिन "मिट" ने जो कुछ भी कहा उसने मुझे और बाकी सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया । इसी ४ अक्टूबर को एक कार दुर्घटना में "मिट" ने अपनी २१ वर्षीय पुत्री को खो दिया । आज "मिट" ने अपनी पुत्री की याद में सभी के लिये बीयर खरीदी और कहा कि हमें "जिन्दगी" को मनाना चाहिये क्योंकि पता नहीं कि जीवन कब क्या दिखा दे । सब लोग ये सुनकर स्तब्ध थे क्योंकि किसी ने ऐसा सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई व्यक्ति अपनी २१ वर्षीय पुत्री के शोक में ऐसा भी कर सकता है । कुछ देर के लिये पूरे माहौल में शान्ति छा गयी और इसके बाद खुद "मिट" ने माहौल को हल्का करने की कोशिश की ।

इसके बाद मैं "मिट" से मिला और उन्हे अपनी संवेदनायें अर्पित की । लेकिन उसके बाद पूरे समय मैं सोचता रहा कि वास्तव में हम जीवन को कितना Taken for granted लेकर चलते हैं । अगर कल को मेरे साथ कुछ ऐसा घटित हो जाये तो मेरे माता-पिता का क्या होगा ये सोचकर ही मन विह्वल हो उठा । लेकिन जीवन है तो उसकी अपनी विशिष्टतायें हैं और आज मैं मिट की तरह जीवन को सलाम करता हूँ ।

ये मिट को दो फ़ोटो हैं जो मैने कुछ समय पहले अपने कैमरे में कैद किये थे ।



                                                  (आज से कई हफ़्ते पहले मैं और मिट साथ में )

                                                      (अपनी दौड में ईनाम जीतने के बाद मिट और ईडी सथ में )

5 टिप्‍पणियां:

  1. कमाल का व्यक्तित्व है मिट साहब का... ऐसी बातें साधारणतया फिल्मों और किताबों में ही तो मिलती हैं. वास्तविक जीवन में ऐसा तो पहली बार आपसे ही सुन रहा हूँ !

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  2. बिल्कुल सही कहा मित्र! जीवन तो उत्सव होना चाहिये! पर उत्सव के लिये मन से तैयारी करनी पड़ती है। हम मन व्यथा\चिन्ता में उलझाये रहते हैं तो उत्सव कहां से मनेगा।
    याद रहेगी यह पोस्ट!

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  3. किसी ने सही ही कहा है:

    Live each day as if tomorrow is not going to come.

    मिट को हमारा भी सलाम!!

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  4. बेहद दर्दनाक है नीरज , इसकी छाया आपके संवेदनशील चेहरे पर साफ़ नज़र आ रही है !

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