आज "बज्म-ए-मीर" अल्बम से रूप कुमार राठौड की आवाज में एक नाजुक सी गजल पेश करता हूँ । गजल से पहले मीर की आत्मकथा "जिक्र-ए-मीर" के कुछ अंश सलीम आरिफ़ की आवाज में हैं जो मुझे बेहद पसन्द हैं ।
मेरे वालिद रोजो शब खुदा की याद में रहते थे,
कभी मौज में आते तो फ़रमाते थे कि बेटा इश्क करो,
इश्क ही इस कारखाने में मुतस्सर्रिफ़ है,
अगर इश्क न होता तो नज्म-ए-गुल कायम नहीं रह सकता था ।
बेइश्क जिंदगी बवाल है,
इश्क में जी की बाजी लगा देना कमाल है,
इश्क बनाता है इश्क ही कुंदन कर देता है
दुनिया में जो कुछ है इश्क का जरूर है,
आग इश्क की सोजिश है पानी इश्क की रफ़्तार है,
खाक इश्क का करार है हवा उसका इस्तेरार है,
मौत इश्क की मस्ती और जिन्दगी उसकी हुश्यारी है,
रात इश्क का ख्वाब और दिन इश्क की बेदारी है,
नेकी इश्क का कुर्ब है गुनाह इश्क की दूरी है,
जन्नत इश्क का शौक है दोजख इश्क का जौक है ।
कौन मकसद को इश्क बिन पँहुचा,
आरजू इश्क, मुद्दआ है इश्क, सारे आलम में भर रहा है इश्क ।
- मीर तकी मीर
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आनन्दित कर दिया बालक!!
जवाब देंहटाएंवाह!! बहुत खूब, नीरज!!
बेहतरीन प्रस्तुति! यह एमपी३ हासिल करने के लिये क्या करना होगा? :)
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
padhey gaye ansh to bahut khuubsurat lagey...dhanyavaad
जवाब देंहटाएंExcellent poetry and great voice.
जवाब देंहटाएंHappy Independence Day!
अच्छा रहा यह पोस्ट फुर्सत में पढ़ी/सुनी। अन्यथा केवल पढ़ कर या केवल आत्मकथा के अंश सुन कर ही छोड़ देता! यह समग्र पोस्ट बहुत जमी बावजूद इसके कि उर्दू के कुछ शब्दों की समझ कम रही।
जवाब देंहटाएंनिश्चय ही मेहनत लगी है पोस्ट बनाने में।
इश्क एक जुनून है। और एक काम का जुनून जिन्दगी को मकसद देता है।
आपका इश्क क्या है? दौड़ना?!
वाह... अभूत अच्छी लगी ये पोस्ट. इश्क चीज़ ही ऐसी है... वैसे अपनी समझ थोडी कम ही है !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब नीरज भाई,नायाब पोस्ट के लिये बहुत बहुत शुक्रिया।
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