शनिवार, सितंबर 08, 2007

सुरैया जमाल शेख के गाये कुछ अनमोल नग्मे !!!



हिन्दी फ़िल्म जगत की बेहद सुरीली गायिका और बेहतरीन अदाकारा सुरैयाजी का पूरा नाम "सुरैया जमाल शेख" था । सुरैयाजी का जन्म १९२९ में हुआ था और २००४ में वो इस जहाँ को अलविदा कह गयीं । सुरैया जी उस जमाने की अदाकारा थीं जब कुछ अदाकार अपने गाने स्वयं ही गाया करते थे जैसे कि कुन्दन लाल सहगल और तलत महमूद ।

सुरैया जी ने १९३७ से १९४१ के बीच फ़िल्मों में बाल कलाकार के रूप में काम किया और १९४२ की मशहूर फ़िल्म "ताज महल" में मुमताज महल के बचपन का किरदार निभाया । उनकी अंतिम फ़िल्म "रूस्तम सोहराब" थी जो १९६४ में आयी थी । इसी फ़िल्म का एक गीत "ये कैसी अजब दास्ताँ हो गयी है, छुपाते छुपाते बयाँ हो गयी है" मेरा पसंदीदा गीत है । उनकी फ़िल्मों की लम्बी फ़ेहरिस्त में बडी बहन, अफ़सर, प्यार की जीत, परवाना, दास्तान, दिल्लगी, शमाँ, शोखियाँ और मिर्जा गालिब प्रमुख हैं । इसके अलावा भी अनेक फ़िल्मों में उन्होनें अपनी अदाकारी बिखेरी और कितनी ही फ़िल्मों के नग्मों को अपनी सुरीली आवाज से सजाया । अधिक जानकारी के लिये IMDB के इस पृष्ठ को देखें


सुरैया और देव आनंद साहब को एक दूसरे से बेहद प्यार था । एक गीत के फ़िल्मांकन के समय नाव के डूबने की स्थिति में देव साहब ने सुरैया को डूबने से बचाया था । सुरैया के घर वाले इस प्रेम के सख्त खिलाफ़ थे । सुरैया और देव साहब का विवाह तो न हो सका और इसी वजह से सुरैया आजीवन अविवाहित रही । प्रेम के इस दुखद अंत को जानते हुये सुरैया जी की आवाज में फ़िल्म मिर्जा गालिब का "ये न थी हमारी किस्मत कि विसाल-ए-यार होता" सुनता हूँ तो दिल भारी हुये बिना नहीं रहता । सुना है कि देव साहब ने अपनी आत्मकथा में अपने और सुरैया के समबन्धों के बारे में लिखा है | लेकिन मुझे अभी तक देव साहब की आत्मकथा पढने का मौका नहीं मिला है इसलिये विस्तार से कुछ बता नहीं सकता ।

सुरैयाजी पर लिखी इस पोस्ट को यादगार बनाने के लिये हम आपको सुरैयाजी के कुछ नग्में सुनवायेंगे । सुरैयाजी के कुछ गानों का अन्दाज कुन्दन लाल सहगल के अन्दाज से मिलता जुलता है और ऐसा स्वाभाविक भी है । कुन्दन लाल सहगल के व्यक्तित्व से कौन अछूता रहा है चाहे वो मुकेश, किशोर अथवा लताजी ही क्यों न हों ।

पहली कडी में पेश हैं सुरैयाजी के पाँच नग्में ।

१) ये कैसी अजब दास्तां हो गयी है (रूस्तम सोहराब, १९६४, संगीत निर्देशक: "सज्जाद हुसैन")

ये कैसी अजब दास्ताँ हो गयी है,
छुपाते छुपाते बयाँ हो गयी है - २
ये कैसी अजब दास्ताँ हो गयी है ।

ये दिल का धडकना, ये नजरों का झुकना,
जिगर में जलन सी, ये साँसो का रूकना,
खुदा जाने क्या दास्ताँ हो गयी है ।
छुपाते छुपाते बयाँ हो गयी है,
ये कैसी अजब दास्ताँ हो गयी है ।

बुझा दो बुझा दो, बुझा दो सितारों की शम्में बुझा दो,
छुपा दो छुपा दो, छुपा दो हंसी चाँद को भी छुपा दो,
यहाँ रोशनी मेहमाँ हो गयी है,
ये कैसी अजब दास्ताँ हो गयी है ।

इलाही ये तूफ़ान है किस बला का,
कि हाथों से छूटा है दामन हया का,
खुदा की कसम आज दिल कह रहा है - २
कि लुट जाऊँ मैं नाम लेकर वफ़ा का
तमन्ना तडप कर जवाँ हो गयी है,
ये कैसी अजब दास्ताँ हो गयी है ।

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२) ओ दूर जाने वाले (प्यार की जीत, १९४८, संगीत निर्देशक:"हुस्नलाल भगतराम" )

ओ दूर जाने वाले - २
वादा न भूल जाना - २
राते हुयी अंधेरी - २
तुम चाँद बन के आना - २
ओ दूर जाने वाले ।

अपने हुये पराये, दुश्मन हुआ जमाना
तुम भी अगर ना आये - २
मेरा कहाँ ठिकाना,
ओ दूर जाने वाले ।

आजा किसी की आँखे, रो रो के कह रही हैं
ऐसा ना हो कि हम को - २
कर दे जुदा जमाना
ओ दूर जाने वाले ।

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३) ओ लिखने वाले ने (बडी बहन, १९४९, संगीत निर्देशक:"हुस्नलाल भगतराम" )

दिल तेरे आने से पहले भी यू ही बरबाद था,
और यू ही बरबाद है तेरे चले जाने के बाद ।

ओ लिखने वाले ने,
लिखने वाले ने लिख दी मेरी तकदीर में बरबादी
लिखने वाले ने,

दिल को जब तेरी मोहब्बत का सहारा मिल गया,
मैंने समझा मेरी कश्ती को किनारा मिल गया,
हाय किस्मत को मगर कुछ और ही मंजूर था,
आँख जब खोली तो कश्ती से किनारा दूर था ।
लिखने वाले ने,

छोड कर दुनिया तेरी तुझको भुलाने के लिये,
हम चले आये यहाँ आंसू बहाने के लिये,
दिल अभी भूला न था तुझको कि किस्मत मेरी,
खींचकर लायी तुझे मुझको रूलाने के लिये ।
लिखने वाले ने,

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४) मुरली वाले मुरली बजा (दिल्लगी, १९४९, संगीत निर्देशक: "नौशाद")
मुरली वाले मुरली बजा
सुन सुन मुरली को नाचे जिया,

रह रह के आज मेरा डोले है मन
जाने ना प्रीत मेरे भोले सजन
कैसे छुपाऊँ हाये दिल की लगन
मौसम प्यारा ठण्डी हवा
दिल मिल जाये वो जादू जगा
मुरली वाले मुरली बजा,

मुरली से तेरी जिया लागा बलम
आँखों में तू है नहीं अब कोई गम
ओ बंसी वाले तुझे मेरी कसम
आज सुना दे वो धुन जरा
रून झुन सावन की बरसे घटा
मुरली वाले मुरली बजा,

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५) नाम तेरा है जुबाँ पर याद तेरी दिल में है (दास्तान, संगीत निर्देशक:"नौशाद")
आने वाले अब तो आजा ज़िन्दगी मुश्किल में है ।

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अगर आपको ये नग्मे अच्छे लगे हैं और आप आगे भी पुराने गीतों को सुनना चाहते हैं तो अपनी प्रतिक्रिया टिप्पणी के माध्यम से देना न भूलें ।

3 टिप्‍पणियां:

  1. इन गानों मे शब्दों की बजाय आवाज का जादू ज्यादा लगता है.
    "नाम तेरा है जुबाँ पर याद तेरी दिल में है
    आने/जाने वाले अब तो आजा ज़िन्दगी मुश्किल में है ।"
    जिन्दगी की मुश्किल आवाज में कम्पन से पता चलती है!

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  2. कुछ फिल्‍म अभिनेत्रियों का जीवन वाक़ई त्रासद रहा है । सुरैया के बारे में लिखकर आपने त्रासदी का
    ये अहसास गहरा कर दिया है । सुरैया ने बचपन से फिल्‍मों में काम किया । नानी और पिता का जमूरा
    बनकर रहीं । जो उन्‍होंने बोला किया । फिल्‍मों में गीत गाए । अभिनय किया । जमकर पैसा कमाया ।
    देव आनंद से उनकी गहरी दोस्‍ती हो गयी । जो दोतरफा थी, लेकिन घरवालों ने इसे मंजूरी नहीं दी । और
    सुरैया जीवन भर अविवाहित रहीं । मुंबई के चर्चगेट इलाके में वो अकेली रहती थीं और दिन भर सजकर तैयार
    रहती थीं,घंटों आईने के सामने खुद को निहारती रहतीं । बुढ़ापे को उन्‍होंने स्‍वीकार नहीं किया । मौत आई तो
    उसके बाद रिश्‍तेदारों में प्रॉपर्टी को लेकर बिल्लियों की तरह छीनाझपटी हुई ।
    सुरैया की जिंदगी में जो दर्द था वो उनकी आवाज़ में आया । ज्ञान जी सुन रहे हैं आप ।

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  3. http://antarman-antarman.blogspot.com/2006/09/naina-deewaane-suraiyaji.html
    Do see this above link on Suraiya ji ...
    सुरैया जी पर ये पोस्ट बहुत अच्छी लगी -
    हाँ उनका निजी जीवनाम लोगोँ की तरह तो बिलकुल नहीँ गुजरा -
    गीत सुन कर, अतीव प्रन्नता हुई !
    ..स स्नेह,
    -- लावण्या

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