इस शनिवार को हमने एक ८ मील की दौड में भाग लिया । ये एक रिले रेस थी जिसमें टीम के चारों प्रतिभागियों को २ मील (३.२ किमी) दौडना था । हमारी टीम का नाम था Cone of Uncertainty | मेरी टीम में मेरे अलावा हरदीप, साईमन और ब्रायन थे । दौडने के क्रम के हिसाब से हरदीप, ब्रायन, नीरज और अन्त में साईमन दौडे । इस दौड के २ मील के सफ़र में रास्ता समतल न होकर ऊँचा नीचा था । एक छोटा सा हिस्सा इतना स्टीप (Steep) था कि लगभग २५-३० मीटर पैदल चलना पडा । मैने अपने हिस्से के २ मील १४ मिनट और २८ सेकेंड्स में पूरे किये और हमारी टीम ने इस दौड (८ मील) को ५६ मिनट और ५३ सेकेंड्स में पूरा किया ।
मैने इस दौड को पिछले साल भी दौडा था और तब मुझे इसे दौडने में १६ मिनट लगे थे । इस लिहाज से देखा जाये तो १ साल में १.५ मिनट का सुधार हुआ है । इसके अलावा कल ही मैने अपनी मैराथन दौड की ट्रेनिंग दौड में अपना व्यक्तिगत रेकार्ड तोडा । मैने ४.१ मील (६.५६ किमी) की दौड २९ मिनट में समाप्त की, इसी दौड के लिये मेरा पिछला रेकार्ड ३० मिनट और ११ सेकेंड्स का था । इस लिहाज से देखा जाये तो एक मील दौडने में केवल ७ मिनट और ५ सेकेंड्स लगे जो काफ़ी सुधार है ।
असली प्रतियोगिता १८ जनवरी में है (ह्यूस्टन मैराथन) जिसमें बिना रूके २६.२ मील (४२.२ किमी) दौडना होगा । अभी के हिसाब से लग रहा है कि इसको पूरा करने में ३ घंटे ४५ मिनट से ४ घंटे का समय लगेगा । लेकिन मैराथन दौड बडी लम्बी और दुरूह होती है इसलिये अगर आप अन्त के ३ मील में भी चोटिल हो जायें तो पूरे छ: महीने की तैयारी का कूडा । इस दौड के लिये अब तक ट्रेनिंग में मैं लगभग ३०० मील दौड चुका हूँ (३ महीने में) और अगले चार महीने में अगले ५०० मील दौडने का इरादा है । फ़िलहाल एक हफ़्ते में लगभग ३० मील तक दौड पा रहा हूँ जिसे नवम्बर और दिसम्बर में ४० मील प्रति हफ़्ता तक करने का इरादा है ।
मैराथन ट्रेनिंग के बाकी किस्से बाद में तब तक आप उन फ़ोटो का लुत्फ़ लें जो मैने शनिवार को दौड के दौरान खीचें :-)
मंगलवार, सितंबर 30, 2008
शनिवार, सितंबर 13, 2008
आइक से मुलाक़ात का विवरण और कुछ तस्वीरें !!!
आइक महोदय रात को हमारे घर तशरीफ़ लाये लेकिन आने से थोडी देर पहले उन्होंने हमारी बत्ती गुल कर दी | लिहाजा आइक और हमने मोमबत्ती में गुफ्तगू की, हमने आइक को हिन्दी में एक ब्लॉग खोलने को कहा जिस पर वो विचार कर रहे हैं :-)
रात को बारह बजे बत्ती गुल हो गयी थी जो अभी तक गुल है, शायद अगले कुछ घंटों में सब ठीक हो जाए | सुबह उठकर अपना रेनकोट पहनकर हम जब आस पड़ोस के हाल का जायजा लेने निकले तो पता चला की काफ़ी नुक्सान हुआ है | हमारी कार के बिल्कुल बगल में पेड़ का एक बड़ा हिस्सा टूट कर गिरा लेकिन हमारी कार बाल बाल बच गयी | हमारे अपार्टमेन्ट के सामने एक पेड़ जमीन पर लगभग समतल पडा था | और पेट्रोल पम्प की छत उड़ गयी थी और बाकी का हाल आप इन तस्वीरों से देख लें :-)
इस पोस्ट को मैं अपने मित्र के घर से लिख रहा हूँ जहाँ पता नहीं कैसे अभी तक बत्ती आ रही है :-) टेक्सास में लगभग ४० लाख लोगों के पास फिलहाल बिजली नहीं है लेकिन कल तक शायद सब ठीक हो जायेगा |
रात को बारह बजे बत्ती गुल हो गयी थी जो अभी तक गुल है, शायद अगले कुछ घंटों में सब ठीक हो जाए | सुबह उठकर अपना रेनकोट पहनकर हम जब आस पड़ोस के हाल का जायजा लेने निकले तो पता चला की काफ़ी नुक्सान हुआ है | हमारी कार के बिल्कुल बगल में पेड़ का एक बड़ा हिस्सा टूट कर गिरा लेकिन हमारी कार बाल बाल बच गयी | हमारे अपार्टमेन्ट के सामने एक पेड़ जमीन पर लगभग समतल पडा था | और पेट्रोल पम्प की छत उड़ गयी थी और बाकी का हाल आप इन तस्वीरों से देख लें :-)
इस पोस्ट को मैं अपने मित्र के घर से लिख रहा हूँ जहाँ पता नहीं कैसे अभी तक बत्ती आ रही है :-) टेक्सास में लगभग ४० लाख लोगों के पास फिलहाल बिजली नहीं है लेकिन कल तक शायद सब ठीक हो जायेगा |
शुक्रवार, सितंबर 12, 2008
आशा भोंसले की आवाज में मदन मोहन के तीन अमर गीत !!!
जब जब मदन मोहन के संगीत का जिक्र होता है साथ में हमेशा लता मंगेशकरजी की बात होती है । ठीक उसी तरह ओ. पी. नैय्यर साहब के संगीत के साथ आशा भोसले का नाम अपने आप जुबां पर आ जाता है । लेकिन ये भी सत्य है कि आशा भोंसले ने भी मदन मोहन और गीता दत्त ने ओ. पी. नैय्यर के साथ अनेकों अनमोल नग्में गाये हैं ।
मदन मोहन जी के २० साल के संगीत के सफ़र में उनके साथ आशा भोंसले ने १९० और लता मंगेशकर ने २१० फ़िल्मी गीत गाये । कुछ दिन पहले आशा भोसले का जन्मदिन था लेकिन अपनी व्यस्तता के चलते मैं कुछ पोस्ट नहीं कर पाया । आशाजी और मदन मोहन के अनमोल नग्मों में से मेरे कुछ पसंदीदा गीत हैं ।
१) सबा से ये कह दो कि कलिया बिछायें (बैंक मैनेजर)
२) जमीं से हमें आसमा पर (अदालत)
३) अश्कों से तेरी हमने तस्वीर बनाई है (देख कबीरा रोया)
४) जाने क्या हाल हो कल शीशे का पैमाने का (मां का आंचल)
५) हमसफ़र साथ अपना छोड चले
६) कोई शिकवा भी नहीं, कोई शिकायत भी नहीं (नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे)
फ़िल्म "नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे" में तो मदनजी के सारे गीत आशाजी ने गाये और इस फ़िल्म का एक एक गीत अनमोल है । पहला नग्मा असल में एक गजल है, जाने क्या हाल हो कल शीशे का पैमाने का । इस गीत को सुनें और बस डूब के रह जायें ।
दूसरा गीत है, "सबा से ये कह दो कि कलियाँ बिछायें"
और तीसरा अनमोल नग्मा है, "कोई शिकवा भी नहीं"
आईक की हवायें बढती जा रही हैं और थोडी देर में शायद बिजली गुल हो जाये, इससे पहले इस पोस्ट को छाप देते हैं ।
मदन मोहन जी के २० साल के संगीत के सफ़र में उनके साथ आशा भोंसले ने १९० और लता मंगेशकर ने २१० फ़िल्मी गीत गाये । कुछ दिन पहले आशा भोसले का जन्मदिन था लेकिन अपनी व्यस्तता के चलते मैं कुछ पोस्ट नहीं कर पाया । आशाजी और मदन मोहन के अनमोल नग्मों में से मेरे कुछ पसंदीदा गीत हैं ।
१) सबा से ये कह दो कि कलिया बिछायें (बैंक मैनेजर)
२) जमीं से हमें आसमा पर (अदालत)
३) अश्कों से तेरी हमने तस्वीर बनाई है (देख कबीरा रोया)
४) जाने क्या हाल हो कल शीशे का पैमाने का (मां का आंचल)
५) हमसफ़र साथ अपना छोड चले
६) कोई शिकवा भी नहीं, कोई शिकायत भी नहीं (नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे)
फ़िल्म "नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे" में तो मदनजी के सारे गीत आशाजी ने गाये और इस फ़िल्म का एक एक गीत अनमोल है । पहला नग्मा असल में एक गजल है, जाने क्या हाल हो कल शीशे का पैमाने का । इस गीत को सुनें और बस डूब के रह जायें ।
दूसरा गीत है, "सबा से ये कह दो कि कलियाँ बिछायें"
और तीसरा अनमोल नग्मा है, "कोई शिकवा भी नहीं"
आईक की हवायें बढती जा रही हैं और थोडी देर में शायद बिजली गुल हो जाये, इससे पहले इस पोस्ट को छाप देते हैं ।
आईक, ह्य़ूस्टन में बिन बुलाये मेहमान !!!
अब लगभग निश्चित हो गया है कि आईक नामक बिना बुलाये मेहमान हमारे घर पर आने वाले हैं । लगभग ४ दिन पहले सी.एन.एन. ने घोषणा की थी कि आईक महाशय जो उस समय हैती (Haiti) और क्यूबा में डेरा डाले हुये थे, गैलवेस्टन और ह्यूस्टन पधार सकते हैं । उसके अगले ही दिन आईक के कार्यक्रम में बदलाव दिखा और वो दक्षिणी टेक्सास के शहर ब्राउन्सवेल/कार्पस की ओर जाते दिखे । लेकिन कल फ़िर आईक ने अपना मूड बदल लिया और शनिवार की सुबह १-२ बजे के आस पास आईक गैलवेस्टन के रास्ते टेक्सास में दाखिल होंगे । आईक का इरादा १२५-१३० मील प्रति घंटा (२००-२१० किमी प्रति घंटा) की हवाओं और काली घटाओं के गाजे बाजे के साथ टेक्सास में घुसने का है । गैलवेस्टन के निवासी तो आईक को मुँह चिढाते हुये घर बार छोडकर भाग गये हैं लेकिन ह्यूस्टन निवासी (समुद्र से लगभग ४० मील दूर) अर्थात मेरे जैसे लोग जो वीर और धीर हैं, आईक का स्वागत खुली बाहों से कर रहे हैं ।
अगर आप अब तक संशय में हैं कि ये आईक महोदय कौन हैं तो नीचे दिये हुये तीन चित्र देखें ।
(सोमवार को सी.एन.एन. का आईक के रास्ते का खुलासा करना, हमारा आशियाना ह्य़ूस्टन में है )
(गल्फ़ आफ़ मैक्सिको में आईक गोल गोल घूमकर कह रहे हैं, आओ ट्विस्ट करें ...)
(अब से कुछ घंटों बाद आईक हमारे मेहमान होंगे )
२००५ में रीटा नाम की आंटी भी बिना बुलाये ह्यूस्टन आने का विचार कर रहीं थी । रीटा आंटी से कुछ दिन पहले न्यू आर्लियन्स में कटरीना आंटी ने खूब तबाही मचायी थी । लोगों का बुरा हाल हो गया था और इससे डरकर वीर ह्य़ूस्टन वालों ने भी शहर से खिसकने की सोची थी । हम भी लोगों की बातों में आ गये और शहर से भागने लगे । लेकिन ४० लाख की आबादी वाले शहर के सब लोग भागने लगें तो सडके तो छोटी पड ही जायेंगी, वही हुआ । सब सडकों पर फ़ंसे रहे ।
हमने वीरता से १३ घंटे नान स्टाप अपने कार में केवल ५० किमी की दूरी तय की और सोचा इससे बेहतर है कि वापिस चलें । ५० किमी का वापिसी का सफ़र हमने केवल ३५ मिनट में पूरा कर लिया था क्योंकि वापिस जाने वाले पूरी सडक पर हम ही थे । उस समय लगा कि "जाने वाले जरा होशियार, यहाँ के हम हैं राजकुमार" :-)
आईक के आने पर कुछ चीजें निश्चित तौर पर होंगी । पहली की "ठंडी हवायें लहरा के आयें", फ़िर खिडकियों के शीशे जवानी के कच्चे दिल की तरह छन से टूट सकते हैं, तीसरी "उमड उमड के आयी रे घटा" और उसके साथ ही जोरदार बरसात ।
ये किसने अपनी जुल्फ़ से झटका पानी,
झूम के आया बादल टूट के बरसा पानी ।
इसके साथ ही आस पास के इलाकों के कुछ पेड उखडकर बिजली के तारों पर गिर जायेंगे और बत्ती गुल हो जायेगी । बत्ती गुल होने के साथ ही थोडी देर में पानी भी गुल जो जायेगा और उसके बाद खुदा खैर करे :-)
इस बार ह्य़ूस्टन के अधिकतर लोग शहर से भाग नहीं रहे हैं लेकिन थोडा अफ़रातफ़री का माहौल है । मैने ३-४ दिनों के लिये पानी खरीद कर रख लिया है, अपकी कार की टंकी पूरी भर ली है और थोडा बहुत खाने का सामान रख लिया है । मुझे पूरा विश्वास है कुछ खास नहीं होगा, आईक और हम बैठकर बालकनी में साथ में चाय पीयेंगे और उन्हें विदा कर देंगे । आईक को एक हिन्दी ब्लाग खोलने की सलाह भी दी जायेगी और विश्वास दिलाया जायेगा कि समीरजी उनको टिप्पणी अवश्य देंगे ।
इस बीच में आज स्कूल से छुट्टी हो गयी है और ब्लागिंग करने का मौका मिल गया है । एक ब्लागर को आईक से भला क्या शिकायत हो सकती है :-)
मौसम विभाग ने सैटेलाइट से ऊपर वाली तस्वीर उतारी है । जिस प्रकार से तस्वीर दिख रही है गैलवेस्टन की हालत अच्छी नहीं लग रही है । गैलवेस्टन के ९०% से अधिक लोग शहर छोड चुके हैं और जो लोग वहाँ रूके हुये हैं, ईश्वर उनकी सहायता करे ।
ताजा जानकारी के अनुसार लगभग १५०,००० घरों में बिजली जा चुकी है । ह्यूस्टन का पडौसी नगर गैलवेस्टन बडी गम्भीर समस्या से जूझ रहा है । वहाँ के काफ़ी घरों में पहले ही पानी घुस चुका है और अगले तीन-चार घंटो में वहाँ १५-२० ऊँची समुद्री लहरें शहर में घुस सकती हैं । मेरे शहर ह्यूस्टन में पानी मुख्य समस्या नहीं होगी लेकिन तेज हवायें काफ़ी नुकसान कर सकती हैं ।
अगर आप अब तक संशय में हैं कि ये आईक महोदय कौन हैं तो नीचे दिये हुये तीन चित्र देखें ।
(सोमवार को सी.एन.एन. का आईक के रास्ते का खुलासा करना, हमारा आशियाना ह्य़ूस्टन में है )
(गल्फ़ आफ़ मैक्सिको में आईक गोल गोल घूमकर कह रहे हैं, आओ ट्विस्ट करें ...)
(अब से कुछ घंटों बाद आईक हमारे मेहमान होंगे )
२००५ में रीटा नाम की आंटी भी बिना बुलाये ह्यूस्टन आने का विचार कर रहीं थी । रीटा आंटी से कुछ दिन पहले न्यू आर्लियन्स में कटरीना आंटी ने खूब तबाही मचायी थी । लोगों का बुरा हाल हो गया था और इससे डरकर वीर ह्य़ूस्टन वालों ने भी शहर से खिसकने की सोची थी । हम भी लोगों की बातों में आ गये और शहर से भागने लगे । लेकिन ४० लाख की आबादी वाले शहर के सब लोग भागने लगें तो सडके तो छोटी पड ही जायेंगी, वही हुआ । सब सडकों पर फ़ंसे रहे ।
हमने वीरता से १३ घंटे नान स्टाप अपने कार में केवल ५० किमी की दूरी तय की और सोचा इससे बेहतर है कि वापिस चलें । ५० किमी का वापिसी का सफ़र हमने केवल ३५ मिनट में पूरा कर लिया था क्योंकि वापिस जाने वाले पूरी सडक पर हम ही थे । उस समय लगा कि "जाने वाले जरा होशियार, यहाँ के हम हैं राजकुमार" :-)
आईक के आने पर कुछ चीजें निश्चित तौर पर होंगी । पहली की "ठंडी हवायें लहरा के आयें", फ़िर खिडकियों के शीशे जवानी के कच्चे दिल की तरह छन से टूट सकते हैं, तीसरी "उमड उमड के आयी रे घटा" और उसके साथ ही जोरदार बरसात ।
ये किसने अपनी जुल्फ़ से झटका पानी,
झूम के आया बादल टूट के बरसा पानी ।
इसके साथ ही आस पास के इलाकों के कुछ पेड उखडकर बिजली के तारों पर गिर जायेंगे और बत्ती गुल हो जायेगी । बत्ती गुल होने के साथ ही थोडी देर में पानी भी गुल जो जायेगा और उसके बाद खुदा खैर करे :-)
इस बार ह्य़ूस्टन के अधिकतर लोग शहर से भाग नहीं रहे हैं लेकिन थोडा अफ़रातफ़री का माहौल है । मैने ३-४ दिनों के लिये पानी खरीद कर रख लिया है, अपकी कार की टंकी पूरी भर ली है और थोडा बहुत खाने का सामान रख लिया है । मुझे पूरा विश्वास है कुछ खास नहीं होगा, आईक और हम बैठकर बालकनी में साथ में चाय पीयेंगे और उन्हें विदा कर देंगे । आईक को एक हिन्दी ब्लाग खोलने की सलाह भी दी जायेगी और विश्वास दिलाया जायेगा कि समीरजी उनको टिप्पणी अवश्य देंगे ।
इस बीच में आज स्कूल से छुट्टी हो गयी है और ब्लागिंग करने का मौका मिल गया है । एक ब्लागर को आईक से भला क्या शिकायत हो सकती है :-)
मौसम विभाग ने सैटेलाइट से ऊपर वाली तस्वीर उतारी है । जिस प्रकार से तस्वीर दिख रही है गैलवेस्टन की हालत अच्छी नहीं लग रही है । गैलवेस्टन के ९०% से अधिक लोग शहर छोड चुके हैं और जो लोग वहाँ रूके हुये हैं, ईश्वर उनकी सहायता करे ।
ताजा जानकारी के अनुसार लगभग १५०,००० घरों में बिजली जा चुकी है । ह्यूस्टन का पडौसी नगर गैलवेस्टन बडी गम्भीर समस्या से जूझ रहा है । वहाँ के काफ़ी घरों में पहले ही पानी घुस चुका है और अगले तीन-चार घंटो में वहाँ १५-२० ऊँची समुद्री लहरें शहर में घुस सकती हैं । मेरे शहर ह्यूस्टन में पानी मुख्य समस्या नहीं होगी लेकिन तेज हवायें काफ़ी नुकसान कर सकती हैं ।
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