रविवार, जुलाई 31, 2011

जिन्दगी को बांहों में भरें और मुस्कुरायें !

इस हफ़्ते मन बेहद उदास रहा । हमारे धावक समूह के एक साथी और मेरे एक अच्छे दोस्त मार्क फ़्रेजर नहीं रहे। मैं मार्क फ़्रेजर के बारे में एक पोस्ट लिखना चाहता था लेकिन हिम्मत नहीं कर सका । लेकिन आज कुछ ऐसा हुआ कि लिखने से अपने आप को रोक नहीं पा रहा। मार्क के बारे में अगली पोस्ट में लिखूंगा लेकिन आज की पोस्ट जीवन और उसकी अजीबोगरीब बातों को समर्पित है।

ह्यूस्टन की गर्मी बेदर्द होती है। अत्यधिक तापमान और आद्रता के चलते हम जैसे धावकों को ४-५  महीने (अप्रैल-अगस्त) बडी दिक्कत से गुजारने होते हैं। दौडना छोड भी नहीं सकते क्योंकि "मुंह से ये ऐसी लगी है कि छुटती नहीं" | अधिकतर धावक जानते हैं कि गर्मी में दौडने के क्या क्या खतरे हो सकते हैं और इन चार महीनों में गति के स्थान पर Gut feeling/proper hydration को अधिक तरजीह देनी चाहिये। लेकिन अगर आपको पहले से दिल की बीमारी हो तो बेहद सचेत रहना चाहिये। 

आज सुबह रविवार की सेट रूटीन वाली ११ मील की दौड समाप्त करके दोस्तों के साथ मिलकर गप शप कर रहे थे कि अचानक से आवाज आयी, "Is any doctor here? This guy needs help" तुरन्त ही सब उस दिशा में दौड चले। ५० गज पर देखा को एक व्यक्ति जमीन पर अचेत पडा है और उसके इर्द गिर्द ५-६ लोग खडे हैं। मैने तुरन्त पूछा "Did someone call Ambulence?" जो जवाब आया, "Yes, someone called" | इसका अर्थ कि अब हमें अगले ५-१० मिनट पर ध्यान देना है जब तक एम्बुलेंस नहीं आ जाती। 

तुरन्त ही पता चल गया कि व्यक्ति को दिल का दौरा पडा है और वो अचेत अवस्था में था। इसका अर्थ कि अगले २ मिनट सबसे महत्वपूर्ण हैं। अब लोग आस पास जुट चुके थे, एक साथी ने CPR शुरू किया। CPR में आप व्यक्ति के सीने को दोनो हाथॊं से जोर से जल्दी जल्दी दबाते हैं जिससे दिल फ़िर से धडकना शुरू हो जाये। इसी बीच किसी अन्य वयक्ति ने चिल्लाया, "Do we have AED machine?" और एक अन्य लडकी ठीक सामने क्लब हाऊस से AED मशीन लेने दौड पडी। लगभग १ मिनट CPR करने के बाद भी उस व्यक्ति के दिल ने धडकना शुरू नहीं किया। अब मेरा दिल बडे जोर से घबराने लगा, आस पास और लोग इकट्ठे हो रहे थे। मैं चिल्लाया, "If you are not involved, please move back 5 feet" एक अन्य व्यक्ति मेरे पीछे पीछे चिल्लाया और भीड थोडी दूर हटी। उसकी नब्ज देखने के लिये मैने जल्दी से उसकी जूते उतारे और टखने के पास वाली नब्ज को महसूस किया। बहुत ही नाजुक नब्ज महसूस हुयी और वो भी लगातार सीने को दबाने के कारण । अब तक वो लडकी AED मशीन लेकर आ गयी थी, खुशकिस्मती से उसे इस मशीन के बारे में पर्याप्त जानकारी थी। उस व्यक्ति के सीने पर इलेक्ट्रोड चिपका दिये गये। AED मशीन कुछ समय लेती है और उसके बाद जब हरी बत्ती जल जाये तो बटन दबाकर सीने को जोर को बिजली का झटका दिया जाता है जिससे दिल फ़िर से धडकना शुरू हो जाये। ये एक मिनट बडा कातिल था, हम लोग अब भी सीने को बार बार तेजी से हाथों से दबाये जा रहे थे जिससे कि उस व्यक्ति के फ़ेफ़डों में सांस जाती रहे और शायद दिल धडकना शुरू हो जाये। इधर AED मशीन पर हरी बत्ती जल उठी और हमने सब लोगों को आगाह किया कि कोई भी उसके शरीर के सम्पर्क में न रहे। उस लडकी ने बटन दबाया और इलेक्ट्रिक शाक दिया गया। इसके तुरन्त बाद एक अन्य व्यक्ति ने उसके मुंह को खोलकर अपने मुंह से उसके फ़ेफ़डों में सांस भरी और वो व्यक्ति अचानक से खांसकर धीरे धीरे चेतन हो गया। 

सभी लोग तेजी से तालियाँ बजाने लगे और इतने में एम्बुलेंस का सायरन सुनायी दिया। दो लडकिया भागकर तेजी से सडक की और गयी और दोनो हाथों के इशारे से एम्बुलेंस को बताया कि वो व्यक्ति कहाँ है। अब सब पीछे हो गये और एम्बुलेंस वालों ने अपना काम शुरू किया। उस व्यक्ति को अब तक चेतना वापिस आ गयी थी और एम्बुलेंस वालों ने उसे स्ट्रेचर पर लिटाकर उसको आक्सीजन देना प्रारम्भ किया। 

थोडी देर के बाद पता चला कि वो व्यक्ति अब ठीक है, उसे अस्पताल ले जाया जायेगा लेकिन वो खतरे से बाहर है। एम्बुलेंस वालों ने लोगों के प्रयासों को भूरि भूरि प्रशंसा की और कहा कि अगर ये सब न किया होता तो सम्भवत: उसकी जान बचाना मुश्किल होता। अब उस लडकी की तलाश हुयी जिसने AED मशीन चलायी थी। लेकिन तब तक तो एक परी की भांति अपने काम को अंजाम देकर वो जा चुकी थी अथवा कहीं भीड में छुपी हुयी थी। वो दोबारा नहीं दिखी। मैने एक अन्य वयक्ति को तलाशा जो इस सबके बीच में उसके सीने को दबा रहा था और उसकी सांस पर ध्यान दे रहा था। मैने उसके पास जाकर उससे हाथ मिलाया और पता चला को पेशे से एक नर्स है। 

जब इन सब बातों से ध्यान हटा तो मैने सोचा कि वो व्यक्ति कितना खुशकिस्मत निकला। दैवीय कृपा देखिये कि वो गिर कर अचेत भी हुआ तो पार्क में ठीक ऐसी जगह जहाँ बिल्कुल सामने वाले टैनिस सेंटर में AED मशीन रखी रहती है। अगर उस व्यक्ति के साथ ये हादसा एक मील पहले या एक मील बाद होता तो कोई नहीं जानता क्या हो जाता। मैं उस व्यक्ति को नहीं जानता लेकिन ईश्वर उस व्यक्ति को लम्बी उम्र और बहुत सारी खुशियाँ प्रदान करे। 

अगर आप सोच रहे हैं कि ये सब इत्तेफ़ाक है, तो इसके पीछे HARRA (Houston Area Road Runners Association) और एक व्यक्ति Dr. Bob का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। Dr. Bob  ने ह्यूस्टन से निकलने वाली अनेकों रनिंग पत्रिकाओं में Heart Attack और CPR/AED के बारे में लिखा है। हम सबने उन आर्टिकल को पढा है और सम्भवत: उन्ही लेखों के चलते Subconsiously सभी को पता था कि क्या करना है और क्या नहीं। HARRA ने सुनिश्चित किया है कि मेमोरियल पार्क में टैनिस सेंटर में AED मशीन रखी जाये जो आसानी से उपलब्ध हो सके। 

इस वाकये ने बहुत प्रभावित किया है और मार्क फ़्रेजर के गुजर जाने के दु:ख को कम तो नहीं किया लेकिन एक उम्मीद की किरण और जीवन के दूसरे मायने दिखाये हैं। जीवन के खुशी भरे पहलू कुछ पल के लिये ही सही दुख को भूल जाने का मौका देते हैं। "इतनी शीरी है जिन्दगी इस पल...."

भारत में दिल की बीमारी बहुत आम है और अधिकतर लोगों को CPR/AED के बारे में जानकारी नहीं होती। दिल का दौरा पडने पर लोग सबसे पहले डाक्टर की ओर भागते हैं और यदि आपने तुरन्त २-४ मिनट में ध्यान नहीं दिया तो डाक्टर भी कुछ नहीं कर सकता। कुछ लोग बेवजह तलुवे मसलने लगते हैं या कुछ और करने लगते हैं। अधिकतर दिल के दौरों में AED मशीन की आवश्यकता नहीं होती। CPR अकेले ही बहुत कामयाब है। अगर आप अब तक मेरे साथ हैं तो आईये CPR और AED के बारे में जानें और क्या पता आप कभी किसी के काम आ पायें।

१) CPR के बारे में यहाँ पढें ।

२) AED के बारे में यहाँ देखें ।



गुरुवार, मार्च 31, 2011

मथुरा की कचौड़ी के साथ मित्रों को राम राम

सभी मित्रों को हमारी राम राम,
एयरटेल के इन्टरनेट पर ऐसा महसूस हो रहा है की जैसे किसी ने हमें एक झटके से पाषाण काल में भेज दिया हो,
इस एक पोस्ट को लिखने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.
बहरहाल, कल के मैच की खुमारी कुछ कम हुयी है तो लगा कि सभी मित्रों को आने की सूचना दी जाये
मथुरा में हम से ९९९७३८१५७९ पर संपर्क किया जा सकता है, मित्रों की एक एक करके खबर ली जायेगी और उनके फ़ोन नंबर तलाश किये जायेंगे.
आपकी बड़ी मेहरबानी होगी अगर आप अपना संपर्क नंबर हमें nrohilla(at)gmail(dot)com पर ईमेल कर सकें.

बाकी जानकारी अगली पोस्ट में :)

रविवार, जनवरी 30, 2011

Athlete Alert

EventInformation:
Event: 2011 Chevron Houston Marathon
Runner: Neeraj Rohilla
Latest Results:
Location Time Pace/mile
10km0:44:597:14

All times are unofficial. Times may vary in post race official results.

शनिवार, जनवरी 29, 2011

मौसम की मार: घोर कफ़्यूजन कि क्या करें !

जैसा कि मैने अपनी पिछली पोस्ट में बताया था कि कल माने रविवार को ह्यूस्टन मैराथन है जिसके लिये पिछले छ: महीने से ट्रेनिंग चल रही थी। ह्यूस्टन के जलील मौसम ने एक बार फ़िर अपना रंग दिखाने का फ़ैसला लिया है। लम्बी दौडों के लिये दौड की शुरूआत का आदर्श तापमान ४०-४४ डिगी फ़ारेनहाईट (लगभग ५-७ डिग्री सेल्सियस) होता है, आप टोपी, दस्ताने पहनकर दौड शुरू करें और आधे घंटे में दौडने से आपका शरीर इतनी ऊष्मा पैदा करता है कि उसके बाद टोपी, दस्ताने उतारने की नौबत आ जाती है। दौड के साथ साथ जैसे सूरज निकलता है तापमान बढता रहे और दौड की समाप्ति पर तापमान ५५-५८ फ़ारेनहाईट (१२-१६ सेल्सियस) के आसपास रहे । आद्रता (Humidity) जितनी कम रहे उतना अच्छा ।
अगर वातावरण में आद्रता ज्यादा होती है तो आपके शरीर से निकलने वाला पसीना सूख नहीं पाता और आधे घंटे में आप पसीने से तरबतर होकर दुहाई देने लगते हैं। और दौड के समय बारिश हो जाये तो तौबा तौबा, सडक पर फ़िसलने के चांस बढ जाते हैं, और दौड कठिन से ज्यादा कठिन हो जाती है।

कल की दौड के लिये तामपान कुछ ऐसा रहने की सम्भावना है ।

बारिश आज रात भर तो होगी ही, सुबह छ: बजे थमने की सम्भावना है, दौड ७ बजे है । आद्रता ९६ प्रतिशत पर बनी रहेगी और बारिश की सम्भावना ६० प्रतिशत रहेगी। शुरूआती तापमान ६१ डिग्री फ़ारेनहाईट और बाद में ७१ के आसपास चले जाने की आशंका है। नियमों के अनुसार अगर दौड के दस मील की दूरी में कहीं बिजली कडक रही हो तो आयोजक दौड निरस्त भी कर सकते हैं। कुल मिलाकर इन्द्र महाराज को ह्यूस्टन से आज भर भर कर कोसा जा रहा है :)

हमारे कोच ने हमको संदेश भेजा है कि अगर तापमान ६० हो तो "All bets are off" इसका अर्थ है कि हमें अपनी रफ़्तार को अपने गोल की बजाय मौसम के हिसाब से एडजस्ट करना पडेगा और हो सकता है बोस्टन क्वालिफ़ाई करने के लिये किसी दूसरे शहर में जाकर अगले महीने कोई और मैराथन दौडनी पडे।

लेकिन जो भी हो, हमारा गोल अभी भी पूरे जी जान से दौडने का है। इन अंग्रेजों को क्या पता कि जिसने मथुरा में बिना बिजली, हाथ से पंखे से ४८ डिग्री सेल्सियस में दिन बिताये हों तो ह्यूस्टन का जलील मौसम हमारा क्या बिगाड लेगा :) झांसी की गर्मी हम भूले थोडे ही न हैं :) खैर एक दिन की बात है कल इस समय तक फ़ैसला हो चुका होगा :)

गुरुवार, जनवरी 27, 2011

व्यस्तता का सबब : ह्यूस्टन मैराथन !

आने वाले रविवार को ह्यूस्टन मैराथन है। ह्यूस्टन के हमारे जैसे धावकों के लिये ये एक उत्सव जैसा है। जुलाई से ही इसकी तैयारी शुरू हो जाती है और इसकी ट्रेनिंग के साथ सौत जैसा प्यार/मनुहार/गाली गलौज चलता रहता है । आखिर ऐसा क्यों न हो ? जब दुनिया रविवार को मुंह ढककर सो रही होती है हम सुबह ५ बजे उठकर बीस मील की दौड लगा रहे होते हैं।
पिछली मैराथन (४२.२ किमी) मैने ३ घंटे और २६ मिनट में समाप्त की थी और उसके बाद फ़ैसला किया था कि अगली मैराथन में अमेरिका की सबसे पुरानी और सबसे सम्माननीय बोस्टन मैराथन दौडने के लिये क्वालीफ़ाई किया जायेगा । बोस्टन मैराथन में दौडने की अनुमति लेने के लिये ३५ वर्ष से कम उम्र युवकों को किसी अन्य मैराथन को ३ घंटा और १० मिनट समय के अन्दर समाप्त करना पडता है । ३५ वर्ष से कम उम्र की नवयुवतियों के लिये ये समय ३ घंटा और ४० मिनट है। देख रहे हैं ना-इंसाफ़ी और कहां गयी बराबरी :)

खैर, पिछ्ले २६ हफ़्तों की ट्रेनिंग में हमने १२०० मील (लगभग १९०० किमी) दौडे । आम तौर पर ५०-६० मील प्रति सप्ताह दौडे गये लेकिन अन्त के दो सप्ताह में ७० (११२ किमी) और ८० मील (१२८ किमी) दौडे गये ।

ट्रेनिंग के बीच में ह्यूस्टन में ४ दौड आयोजित की जाती हैं जिसे वार्म-अप श्रॄंखला कहा जाता है। इसकी शुरूआत १० मील की दौड से होती है, उसके बाद हाफ़ मैराथन, फ़िर २५ किमी और अन्त में ३० किमी की दौड होती है। वार्म-अप श्रॄंखला का उद्देश्य होता है कि आप अपनी ट्रेनिंग को टेस्ट कर सकें और अपने ध्येय के अनुरूप ट्रेनिंग में परिवर्तन ला सकें। इन मैराथन से छोटी दूरी की दौडों में अपने समय के अनुसार आप अपने मैराथन समय की भी भविष्यवाणी कर सकते हैं लेकिन ये हमेशा सही नहीं होती।

दौड

पूरा करने में लगा समय

मैराथन का अनुमानित समय

१० मील (१६ किमी)

१:०५:००

३:०१:३९

हाफ़ मैराथन (२१.१ किमी)

१:२८:५०

:०५:००

२५ किमी

१:४५:५०

३:०५:००

३० किमी

२:०६:५८

३:०१:३९


इस लिहाज से देखा जाये तो हमें अपनी दौड को ३ घंटा और १० मिनट में दौडने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिये लेकिन मैराथन बहुत दिलफ़रेब महबूबा है । कब मुंह मोड ले भरोसा नहीं, २४ मील तक सब कुछ सही होने के बाद भी आखिरी २ मील आपकी हालत खराब करने में पूरी तरह से सक्षम हैं । इसलिये आप केवल कोशिश ही कर सकते हैं। खैर सोमवार को हम अपनी मैराथन रिपोर्ट के साथ फ़िर हाजिर होंगे तब तक आप जुलाई से लेकर अब तक की दौडों के चित्र देखिये :) जुलाई से अब तक की दौडों की विस्तृत रिपोर्ट आप मेरे अंग्रेजी ब्लाग पर भी पढ सकते हैं (http://runwithbcrr.blogspot.com)


(दस मील वाली दौड की लगभग समाप्ति)

(३० किमी: मेरे साथ दौड रहे डेल ह्यूस्टन के बहुत सम्मानित और तेज रफ़्तार धावक हैं)






(All work and no play makes Mark, Neeraj and Jeff dull boys)

(पार्टनर्स इन क्राइम)