tag:blogger.com,1999:blog-8374019.post2454861191563557540..comments2023-11-03T03:28:51.383-06:00Comments on अंतर्ध्वनि: हिन्दी फिल्म दर्शकों का गिरता स्तर और कसौटी पर खरी उतरती फिल्मेंNeeraj Rohillahttp://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-8374019.post-13214904653828610832007-11-17T01:58:00.000-06:002007-11-17T01:58:00.000-06:00मुझे बेहद बुरा लगता है जब कोइ हिन्दी फिल्म का कलाक...मुझे बेहद बुरा लगता है जब कोइ हिन्दी फिल्म का कलाकार टिवी पर अंतरवार्ता देते समय हिन्दी मे किये गए प्रश्न का जवाब अंग्रेजी मे देता है । या वह जब एसी टांग तोड हिन्दी बोलता है जिसमे आधे से ज्यादा अंग्रेजी के शब्द होते है । हिन्दी फिल्मो के दर्शको को एसे कलाकारो का बहिस्कार करना चाहिए जो एसी हरकत करते है ।salimhttps://www.blogger.com/profile/15131893085016492547noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8374019.post-5476452339084034622007-03-28T10:03:00.000-06:002007-03-28T10:03:00.000-06:00It is very easy to criticize the hen but difficult...It is very easy to criticize the hen but difficult to lay even one egg (i luv this line).......egg or no egg.....post reading was funsparrowhttps://www.blogger.com/profile/16597449548661900201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8374019.post-62171091599219504772007-02-27T11:40:00.000-06:002007-02-27T11:40:00.000-06:00आज कल की फ़िल्मों की क्या बात की जाये । धूम-२ और गु...आज कल की फ़िल्मों की क्या बात की जाये । धूम-२ और गुरू तो मैने भी देखीं हैं । दोनो ही सामान्य लगीं मुझे । हाँ, धूम-२ मे हृतिक का स्टाइल अच्छा था और गुरू मे अभिषेक का अभिनय (कुछ हद तक) ।<BR/>आपसे एकलव्य की कहानी सुन के अब ना जाने का मन बना लिया है :-)Abhishekhttps://www.blogger.com/profile/05147031274147631687noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8374019.post-67914952827287330382007-02-27T11:36:00.000-06:002007-02-27T11:36:00.000-06:00आज कल की फ़िल्मों की क्या बात की जाये । धूम-२ और गु...आज कल की फ़िल्मों की क्या बात की जाये । धूम-२ और गुरू तो मैने भी देखीं हैं । दोनो ही सामान्य लगीं मुझे । हाँ, धूम-२ मे हृतिक का स्टाइल अच्छा था और गुरू मे अभिषेक का अभिनय (कुछ हद तक) ।<BR/>आपसे एकलव्य की कहानी सुन के अब ना जाने का मन बना लिया है :-)Abhishekhttps://www.blogger.com/profile/05147031274147631687noreply@blogger.com